रांची, 16अक्टूबर (वार्ता) झारखंड की कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने विश्व खाद्य दिवस के मौके पर राज्य के किसानों को नई तकनीक से रिश्ता जोड़ने को कहा है।
सुश्री तिर्की ने आज कहा है कि परंपरागत खेती के साथ - साथ नई तकनीक से खेती बाड़ी किसानों को आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाएगी। उन्होंने राज्य के किसानों ने सरकारी योजना का लाभ लेने के लिए सप्ताह में एक दिन आवश्यक रूप से प्रखंड कार्यालय जाने की नसीहत दी है।
कृषि मंत्री ने आईसीएआर गढ़खटंगा में विश्व खाद्य दिवस के मौके किसान गोष्ठी और इनपुट वितरण कार्यक्रम में ये बातें कही। इस मौके पर कृषि के क्षेत्र में बेहतर काम करने वाली महिला किसानों को सम्मान के साथ - साथ बीज उपलब्ध कराया गया।
सुश्री तिर्की ने कहा कि हम और आप भोजन के नाम पर क्या ग्रहण कर रहें है इसकी पड़ताल भी जरूरी है। मसलन अत्यधिक खाद युक्त खाद्यान्न के सेवन से मनुष्य का अस्वस्थ होना तय है। अत्यधिक खाद के प्रयोग से मिट्टी की उर्वरक क्षमता भी कम होती है। मंत्री ने कहा कि आईसीएआर और बीएयू जैसे संस्थान कृषि के क्षेत्र में हर दिन कुछ नया कर रहें है।आईसीएआर के द्वारा तैयार की गई धान की नई प्रजाति को आज हम सभी ने देखा।
कृषि मंत्री आईएचएम ब्रांबे रांची में " मिलेट फेस्ट 2025 " में बतौर मुख्य अतिथि भी शामिल हुई। उन्होंने इस अवसर पर किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि बगैर आपके समाज की परिकल्पना अधूरी है। अन्न ग्रहण करते वक्त किसानों की कड़ी मेहनत और उनके संघर्ष को याद करना चाहिए।
सुश्री तिर्की ने कहा कि आज लोग स्वस्थ एवं पौष्टिक भोजन के लिए मोटे अनाज को बड़े ही चाव से खा रहें है। मड़ुआ से बने लजीज व्यंजन चाहे वो मीठे की बात हो या नमकीन की , लोगों को पसंद आ रहे है। राज्य में पहले 20 हजार हेक्टेयर में मड़ुआ की खेती होती थी, लेकिन विभाग के द्वारा प्रति एकड़ 3 हजार रुपए प्रोत्साहन राशि दिए जाने के बाद से मड़ुआ की खेती अब 90 हजार हेक्टेयर तक पहुंच गई है। एफपीओ के साथ जुड़कर किसान मोटे अनाज के उत्पादन में बेहतर काम कर रहें है। भविष्य में झारखंड में मिलेट कैफे खोलने पर काम चल रहा है। विभाग का उद्देश्य मोटे अनाज के लिए किसानों को बेहतर बाजार उपलब्ध कराना है। कृषि मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की सोशल अल्फा संस्था के द्वारा आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुई।
स्टार्टअप के क्षेत्र में नए विचारों के साथ काम करने वालों को ये संस्था प्रोत्साहित करता है। खासकर नए प्रोडक्ट को लैब से बाजार तक पहुंचाने में संस्था की अहम भूमिका है। आज सस्टेन प्लस और प्रदान के बीच दूसरे चरण के काम का शुभारंभ हुआ।
सुश्री तिर्की ने कहा कि आज कृषि के क्षेत्र में कई तरह की चुनौतियां है और भविष्य में भी ये रहेंगी। कम शब्दों में कहें तो ये अलार्मिंग स्टेज है। कम कपड़ों में - कम संसाधन और सुविधाओं में मनुष्य का गुजारा हो सकता है, पर बगैर भोजन के मनुष्य जीवित नहीं रह सकता। देश के अन्नदाताओं की बदौलत ही हमारी थाली को भोजन नसीब हो पाता है। विश्व खाद्य दिवस कार्यक्रम मेंविशेष सचिव गोपाल जी तिवारी, प्रदीप हजारी, आईसीएआर निदेशक सुजय रक्षित , बीएयू के कुलपति डॉ सुनील चंद्र दुबे , अभिजीत कर , पुष्पा तिर्की, आईएचएम रांची के प्रधानाचार्य डॉ भूपेश कुमार, नाबार्ड डीजीएम गौरव कुमार, ओपन फील्ड की डॉ मनीषा उरांव, पंकज कुमार, मांडर प्रखंड अध्यक्ष मंगा उरांव, उप प्रमुख मुद्दसिर हक, सेराफिना, बंधु उरांव, शमीम अख्तर, गणेश विक्रम, आर्यन देव , देवांजन, मोनिका मुंडी, किशुन नाग, रागिनी मरांडी, एतवा मुख्य रूप मौजूद थी।
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