दंतेवाड़ा , नवंबर 25 -- छत्तीसगढ के दंतेवाड़ा जिले में पारंपरिक धान खेती के साथ-साथ अब मिलेट्स आधारित खेती तेजी से बढ़ रही है। रागी, कोदो, कुल्थी, मंडिया और कोसरा जैसी स्थानीय फसलों में वैज्ञानिक तकनीकों के उपयोग ने किसानों के लिए नए अवसर खोले हैं। इसी बदलाव की मिसाल बने हैं विकासखंड कुआकोंडा के ग्राम पोटाली, पटेलपारा के मेहनती किसान देवा मांडवी, जिन्होंने 'बड़ा कोसरा' की खेती को न केवल लाभदायक बनाया बल्कि इसे एक मॉडल फसल के रूप में स्थापित किया है।

मंगलवार को जिला जनसंपर्क अधिकारी से मिली जानकारी के मुताबिक, देवा मांडवी ने मिलेट्स गहनीकरण प्रणाली (एसएमआई) तकनीक अपनाकर बड़ा कोसरा उत्पादन में उल्लेखनीय सफलता हासिल की है। निर्माण ऑर्गेनाइजेशन दंतेवाड़ा और कृषि विभाग की तकनीकी सहायता से उन्होंने 15-21 दिन की नर्सरी तैयार की, 30 गुणा 30 सेंटीमीटर की दूरी पर एकल पौध रोपण किया, नियमित साइकिल वीडिंग की और जीवामृत व हांडी दवा जैसे जैविक उपचारों को अपनाया।

वर्तमान में अगस्त माह में रोपी गई उनकी फसल खेत में प्रति पौधा 30-40 स्वस्थ बालियों के साथ लहलहा रही है, जो इस विधि की सफलता को प्रमाणित करती है।

पिछले वर्ष अरकू (आंध्र प्रदेश) में हुए प्रशिक्षण और फसल भ्रमण ने मांडवी को आधुनिक खेती का नया दृष्टिकोण दिया। लौटकर उन्होंने तुरंत इसे अपने खेत में लागू किया, जिसका परिणाम आज पूरे गाँव के लिए प्रेरणा बन गया है। उनका खेत अब 'मॉडल फार्म' के रूप में पहचाना जा रहा है। इस पूरी प्रक्रिया में निर्माण संस्था, कृषि विभाग और जिला प्रशासन ने सतत मार्गदर्शन प्रदान किया।

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