अमरोहा , दिसंबर 23 -- उत्तर प्रदेश के अमरोहा में भारत-रत्न चौधरी चरणसिंह की जयंती पर किसानों ने अन्नदाता लंगर लगाया, और रासायनिक कारखानों से भूमि क्षरण बचाने को लेकर आंदोलन जारी रखने का संकल्प दोहराया।
इस अवसर पर मंगलवार को "सच्चा भारत गांवों में बसता है", " देश की समृद्धि का रास्ता गांव के खेत खलिहानों से होकर गुजरता है" कथन को उद्धृत करते हुए गजरौला में भारतीय किसान यूनियन (संयुक्त मोर्चा) के बैनर तले किसानों ने बसैली गांव समेत क्षेत्र को गैस चैंबर में तब्दील करने का आरोप लगाते हुए जोरदार प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन स्थानीय रासायनिक कारखानों से निकलने वाले प्रदूषण के खिलाफ़ था जिन पर क्षेत्र को गैस चैंबर में बदलने के आरोप लग रहे हैं।
दिल्ली-लखनऊ राष्ट्रीय राजमार्ग 09 तथा स्टेट हाईवे-51 बदायूं - हरिद्वार मार्ग पर गजरौला प्रमुख औद्योगिक केन्द्र है, यहां जूबिलिएंट,तेवा एपीआई, बेस्ट क्राप जैसी कंपनियों के कारखाने हैं। हाल के वर्षों में यहां गैस रिसाव की घटनाएं बढ़ी हैं। 2025 में ही बेस्ट क्राप कारखाने में से जहरीली गैस रिसाव ने इलाके में अफरातफरी मचा दी थी, जिससे लोगों को सांस की तकलीफ़ और आंखों में जलन हुई। राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) द्वारा पूर्व में यहां ऐसे तमाम रासायनिक कारखानों को चेताया जा चुका है।
किसानों का आरोप है कि भू-जल और वायु प्रदूषण से मिट्टी की उर्वरा शक्ति घट चुकी है, जिससे फ़सल उत्पादन क्षमता एक चौथाई रह गई है।नबी चौधरी समेत स्थानीय किसानों का आरोप है कि अनजानी बीमारियों के अलावा केंसर जैसी घातक बीमारियों की चपेट में आने से ग्रामीण खौफ़जदा हैं। जांच नहीं होने से स्वास्थ्य पर गंभीर संकट है।
भाकियू (संयुक्त मोर्चा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश चौधरी ने आरोप लगाया कि आर्थिक मुनाफे के लालच में रासायनिक कारखाने खेत-खलिहानों की सांसें छीन रहे हैं, यहां जवाबदेही का अभाव है। आरोप लगाया कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की कागज़ी जांच और जमीनी हकीकत में जमीन आसमान का फ़र्क रहता है। अभी तक कोई ठोस कार्रवाई भी नहीं हुई है। जबकि दिल्ली सरकार द्वारा वहां प्रदूषण फैलाने वाली फैक्ट्रियों पर कार्रवाई की जा रही है। गजरौला में कार्रवाई का इंतजार है। आईआईटी दिल्ली सहित कई अन्य प्रमुख संस्थानों की हालिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए किसान नेता ने कहा कि प्रदूषण से गर्भ में पल रहे बच्चों पर पड़ने वाले असर, हवा में तैरते प्लास्टिक कण, जिससे फेफड़ों में सूजन,दमा, एलर्जी, सांस फूलना आदि हार्मोनल गड़बड़ी और लंबे समय में केंसर जैसी ख़तरनाक बीमारियों का ख़तरा निरंतर बढ़ रहा है।
उन्होंने कहा कि आज हमारी भूमि की सेहत गंभीर संकट में है। हालिया अध्ययनों के आधार पर उन्होने कहा कि 64.5 प्रतिशत मिट्टी में नाइट्रोजन और 48.5 प्रतिशत में आर्गेनिक कार्बन की कमी है, जबकि लगभग 30 प्रतिशत भूमि क्षरण,लवणता और अपरदन से प्रभावित है। किसान दिवस पर किसानों द्वारा संकल्प लिया गया कि भूमि संरक्षण के लक्ष्य के साथ ही आगामी नववर्ष 2026 में प्रवेश होगा। किसानों का बेमियादी धरना मंगलवार को चौथे दिन भी जारी रहा।
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