जयपुर , अक्टूबर 11 -- मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने धन-धान्य कृषि योजना, दलहन मिशन और अन्य महत्वपूर्ण योजनाओं का शुभारंभ कर देश की कृषि व्यवस्था में एक नए युग का आरंभ किया हैं और ये योजनाएं उत्पादन बढ़ाने के साथ ही खेती को अधिक आत्मनिर्भर और टिकाऊ बनाने का काम करेंगी।

श्री शर्मा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शनिवार को नई दिल्ली के भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान में आयोजित विशेष कृषि कार्यक्रम सं वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये जुड़कर उनके संबोधन का श्रवण किया और इस अवसर पर राज्य कृषि प्रबंधन संस्थान दुर्गापुरा में आयोजित राज्य स्तरीय कार्यक्रम में अपने संबोधन में यह बात कही। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की इस दूरदर्शी पहल से किसान भाई-बहन अब केवल पारंपरिक खेती तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि आधुनिक तकनीक, वैज्ञानिक तरीकों और बाजार से बेहतर जुड़ाव के माध्यम से समृद्धि और प्रगति का नया अध्याय रचेंगे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का स्पष्ट मानना है कि यदि देश को आत्मनिर्भर और समृद्ध बनाना है, तो हमें अपने अन्नदाताओं को सशक्त बनाना होगा।

श्री शर्मा ने कहा कि श्री मोदी ने किसानों की आय दोगुनी करने की दिशा में ठोस कदम उठाए हैं। पीएम किसान सम्मान निधि के माध्यम से करोड़ो किसानों को आर्थिक सहायता पहुंचाई जा रही है। मजबूत डिजिटल व्यवस्था से यह धनराशि बिना किसी बिचौलिए के समय पर सही लोगों तक पहुंच रही है। उन्होंने कहा कि फसल बीमा योजना के तहत प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान से किसानों को सुरक्षा प्रदान की जा रही है। मृदा स्वास्थ्य कार्ड, नीम कोटेड यूरिया, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना जैसी अनेक योजनाओं से कृषि क्षेत्र को नई दिशा मिली है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री धन धान्य कृषि योजना के तहत देश के ऐसे 100 कृषि जिलों को चुना गया है। कम उत्पादकता, मध्यम फसल तीव्रता एवं औसत से कम ऋण उपलब्धता इन जिलों के चयन का मुख्य आधार है। देश से 100 जिलों में से राज्य के आठ जिलों बाड़मेर, जैसलमेर, नागौर, जोधपुर, बीकानेर, पाली, जालोर और चूरू को इस योजना में शामिल किया गया हैं। उन्होंने कहा कि इस योजना का उद्देश्य उत्पादकता बढ़ाने के साथ ही फसल विविधीकरण, सिंचाई सुविधाओं में सुधार, भंडारण क्षमता में वृद्धि और किसानों को आसान ऋण उपलब्ध कराना है। इसके लिए कृषि, पशुपालन, डेयरी, मत्स्य, सहकारिता, खाद्य प्रसंस्करण, ग्रामीण विकास एवं जलसंसाधन सहित 11 विभागों को जोड़ा गया है।

श्री शर्मा ने कहा कि इस योजना का पहला लक्ष्य सिंचाई का विस्तार करना है। यह योजना प्रधानमंत्री के "हर खेत को पानी" के सपने को साकार करने की दिशा में काम करेगी। छोटे किसानों को सूक्ष्म सिंचाई यानी ड्रिप और स्प्रिंकलर की सुविधा मिलेगी तथा परंपरागत जलाशयों का पुनर्जीवन एवं सिंचित क्षेत्र का विकास होगा। उन्होंने कहा कि हमारे प्रदेश में अब तक लगभग 23 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सूक्ष्म सिंचाई संयत्र स्थापित किए जा चुके हैं और आने वाले वर्षों में संपूर्ण सिंचित क्षेत्र में ड्रिप और स्प्रिंकलर संयत्र स्थापित करना हमारा लक्ष्य है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों के खेतों में वर्षा जल का संचयन सुनिश्चित करने के लिए अब तक 35 हजार 368 फार्म पौंड बनाए जा चुके हैं, जिन पर करीब 307 करोड़ रुपये का अनुदान दिया गया है। राज्य के विभिन्न जिलों में 7 हजार 903 डिग्गियां और 98 हजार 753 पाइपलाइन इकाइयां स्थापित की गई हैं, जिन पर 400 करोड़ रुपये से अधिक का व्यय हुआ है। उन्होंने कहा कि रामजल सेतु लिंक परियोजना के तहत पार्वती, काली सिंध, इस्टर्न राजस्थान केनाल प्रोजेक्ट जैसी परियोजनाओं पर तेजी से काम किया जा रहा है, जिनसे किसानों को खेती के लिए भरपूर पानी मिल सकेगा।

श्री शर्मा ने कहा कि किसान को सही बीज, सही तकनीक और सही सलाह मिलने से ही कृषि में उत्पादकता बढ़ेगी। इस योजना के माध्यम से हर जिले में मिट्टी की जांच कर सॉयल हेल्थ कार्ड बनाकर किसानों को वैज्ञानिक सलाह दी जाएगी। प्रधानमंत्री की पहल से पंचायत और ब्लॉक स्तर पर गोदाम, कोल्ड स्टोरेज, साइलो और पैकिंग यूनिट बनाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि प्रदेश में अब तक 14 लाख सॉयल हेल्थ कार्ड जारी किए जा चुके हैं। राज्य सरकार ने 97 हजार से अधिक किसानों को कृषि यंत्रों पर 546 करोड़ रुपये से अधिक का अनुदान दिया है। उन्होंने कहा कि किसानों को सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण योजना के माध्यम से अपनी फसल को स्थानीय स्तर पर प्रसंस्कृत कर सीधे बाजार तक पहुंचाने की सुविधा मिल रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि अवसंरचना निधि के माध्यम से दीर्घकालिक सस्ते ऋण की सुविधा दी जा रही है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना किसान का कवच बन रही है। उन्होंने कहा कि बीते दो वर्षों में राज्य में साढ़े सात करोड़ से अधिक फसल बीमा पॉलिसी जारी की गई हैं। जिनके अंतर्गत 3 हजार 452 करोड़ रुपये का राज्यांश प्रीमियम जमा किया गया है। 1 करोड़ 76 लाख पॉलिसी धारक किसानों को 5 हजार 965 करोड़ रुपये के मुआवजे का भुगतान किया गया है। वर्ष 2025 में अब तक 2 करोड़ 16 लाख पॉलिसी जारी की जा चुकी हैं।

*गौशालाओं में दिए जाने वाले अनुदान में 25 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी*श्री शर्मा ने कहा कि पशुपालकों को मोबाइल पशु चिकित्सा इकाइयों एवं कॉल सेंटर के माध्यम से घर बैठे निशुल्क पशु चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध करवाई जा रही हैं। बस्सी स्थित फ्रोजन सीमेन बैंक में अत्याधुनिक सीमेन उत्पादन इकाई स्थापित की गई है। मंगला पशु बीमा योजना के तहत 400 करोड़ का व्यय कर गाय, भैंस, भेड़-बकरी एवं ऊंट सहित 42 लाख पशुओं का निशुल्क बीमा किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ऊंटपालन के संरक्षण एवं नवजात टोडियों के पालन-पोषण के लिए आर्थिक सहायता को 10 हजार से बढ़ाकर 20 हजार रुपये किया गया है। प्रदेश में गौ सेवा को बढ़ावा दिए जाने के लिए पात्र गौशालाओं में दिए जाने वाले अनुदान में 25 प्रतिशत की बढ़ात्तरी की गई है। इसके अलावा नई नंदीशाला खोले जाने के लिए 90 प्रतिशत राशि प्रदान की जा रही है।

हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित