नैनीताल, सितंबर 25 -- उत्तराखंड के किच्छा नगर पालिका चुनाव और सिरौली कलां के पृथक चार वार्डों के मामले में गुरुवार को भी समाधान नहीं निकल कर पाया है। मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली पीठ ने इस मामले को एकलपीठ के पास भेज दिया है। किच्छा नगर पालिका का चुनाव पिछले कुछ समय से लटका हुआ है। यहां अभी तक चुनाव नहीं हो पाये हैं। सरकार ने नगर पालिका की जिम्मेदारी प्रशासक के रूप में किच्छा के उप जिलाधिकारी (एसडीएम) को सौपी है।

आरोप है कि सरकार ने पहले सिरौलीकलां के चार वार्डों को किच्छा नगर पालिका में शामिल किया और बाद में इन वार्डों को नगर पालिका से अलग कर दिया। हालांकि अदालत ने सरकार के इस कदम पर रोक लगा दी।

इस मामले को सिरौलिकलां के रहने वाले नईमशुलखान समेत तीन लोगों ने अलग-अलग चुनौती दी। इसमें दो जनहित याचिका और एक साधारण याचिका शामिल है। वह वार्डों के पृथक्करण का विरोध कर रहे हैं।

इन मामलों पर मुख्य न्यायाधीश जी0 नरेंदर और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ में बुधवार और गुरुवार को सुनवाई हुई। आज सरकार की ओर से कहा गया कि सिरौली कलां के चार वार्डों को मिलाकर सरकार अलग नगर पालिका का दर्जा दे रही है।

सिरौली कलां की जनसंख्या 25000 से अधिक है और दो महीने के अंदर चुनाव संपन्न करा लिए जायेंगे। सरकार की ओर से यह भी कहा गया कि स्थानीय पूर्व विधायक के पत्र के आधार पर जिलाधिकारी की ओर से प्रस्ताव भेजा गया और इसके बाद यह कार्रवाई अमल में लाई जा रही है।

यह भी कहा गया कि सरकार की ओर से लोगों से आपत्तियां और सुझाव मंगाये गये और सभी का निस्तारण किया गया है। यह भी कहा गया कि एकलपीठ में यह मामला विचाराधीन है।

अंत में अदालत ने इस मामले को न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की एकलपीठ के पास सुनवाई के लिए भेज दिया और त्वरित सुनवाई के निर्देश दिए हैं।

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