वाराणसी , अक्टूबर 25 -- धार्मिक नगरी काशी के तुलसी घाट पर शनिवार की शाम गोस्वामी तुलसीदास द्वारा शुरू की गई 'नाग नथैया' लीला का अद्भुत मंचन किया गया। मां गंगा कुछ क्षणों के लिए मानो यमुना में परिवर्तित हो गई। हजारों की संख्या में भक्त इस लीला को देखने के लिए एकत्र हुए।

श्रीरामचरितमानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास ने रामलीला के मंचन के साथ-साथ कार्तिक मास में तुलसी घाट पर श्रीकृष्ण लीला का भी मंचन शुरू किया, जिससे समाज में भगवान राम और श्रीकृष्ण के प्रति आस्था का प्रचार-प्रसार हुआ। इस लीला के अंतर्गत कार्तिक मास की चतुर्थ तिथि को विगत 500 वर्षों से लगातार 'नाग नथैया' लीला का मंचन किया जा रहा है। अखाड़ा गोस्वामी तुलसीदास के महंत प्रोफेसर विश्वम्भर नाथ मिश्र ने बताया कि गोस्वामी तुलसीदास को हनुमान जी ने जहां दर्शन दिया था, संकट मोचन मंदिर के आनंद कानन वन से कदम का पेड़ काटकर लाया जाता है और तुलसी घाट (गंगा) में स्थापित कर लीला का सुंदर मंचन किया जाता है।

सूर्योदय से सूर्यास्त तक चलने वाली इस लीला में तुलसी घाट वृंदावन का स्वरूप धारण कर लेता है। मां गंगा यमुना का रूप ले लेती हैं और आसपास का क्षेत्र वृंदावनमय हो जाता है। इस दौरान भगवान श्रीकृष्ण यमुना नदी में अपने जहर से प्रदूषण फैलाने वाले कालिया नाग का मानमर्दन करते हैं और उसे यमुना से निकल जाने का आदेश देते हैं।

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