नयी दिल्ली , दिसंबर 02 -- उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने काशी तमिल संगमम को 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' का प्रतीक बताते हुए मंगलवार को कहा कि काशी और तमिलनाडु भारत की प्राचीन सभ्यता के उज्जवल दीपस्तंभ हैं, जो अपनी सांस्कृतिक समृद्धि से राष्ट्र को आलोकित करते हैं।

श्री राधाकृष्णन ने यह बात काशी और तमिलनाडु के बीच अटूट सांस्कृतिक संबंध का उत्सव मनाने वाले काशी तमिल संगमम के चौथे संस्करण के अवसर पर एक विशेष वीडियो संदेश में कही। उन्होंने कहा कि 2022 में आज़ादी का अमृत महोत्सव के दौरान काशी तमिल संगमम की यह पहल एक प्रमुख राष्ट्रीय मंच के रूप में विकसित हुई है जो गंगा की संस्कृति और कावेरी की परंपराओं को एक साथ लाती है और ये उत्तर और दक्षिण की सांस्कृतिक एकता और उनकी साझा सभ्यतागत विरासत का प्रतीक है। उन्होंने गत 30 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मन की बात कार्यक्रम में उनकी टिप्पणियों को याद किया, जिसमें प्रधानमंत्री ने संगमम को दुनिया की सबसे पुरानी भाषाओं में से एक और दुनिया के सबसे प्राचीन जीवित शहरों में से एक के बीच 'संगम' के रूप में वर्णित किया था।

श्री राधाकृष्णन ने इस वर्ष की थीम, "आइए तमिल सीखें" का स्वागत किया, जो भाषाई और सांस्कृतिक सद्भाव को सुदृढ़ करती है। उन्होंने चेन्नई के केंद्रीय शास्त्रीय तमिल संस्थान द्वारा प्रशिक्षित पचास हिंदी भाषी तमिल शिक्षकों और समन्वयकों की पहल की सराहना की, जो 15 दिनों में 50 सरकारी और निजी स्कूलों के 1,500 से अधिक छात्रों को बुनियादी तमिल पढ़ाने के लिए वाराणसी पहुंचे हैं। उन्होंने तमिलनाडु और काशी के बीच प्राचीन सांस्कृतिक मार्गों को फिर से खोजने के प्रयासों पर प्रकाश डालते हुए तेनकासी से काशी तक प्रतीकात्मक अगथियार यात्रा का उल्लेख किया, जिसकी शुरूआत 02 दिसंबर को शुरू हुई और 10 दिसंबर को समाप्त होगी।

हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित