बेंगलुरु , अक्टूबर 30 -- कर्नाटक धर्मस्थल सामूहिक दफन मामले में शिकायत दर्ज कराने वाले कार्यकर्ताओं ने अब उस प्राथमिकी को रद्द करने की मांग को लेकर कर्नाटक उच्च न्यायालय का रुख किया है।
रिपोर्टों के अनुसार कार्यकर्ताओं ने धर्मस्थल पुलिस स्टेशन में भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 211(ए) के तहत दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने का अनुरोध करते हुए एक याचिका दायर की है। इस मामले में पहले धर्मस्थल मंदिर के पास सामूहिक रूप से लोगों को दफनाने और रहस्यमय मौतों का आरोप लगाया गया था। लेकिन विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा इन दावों का समर्थन करने वाला कोई सबूत न मिलने के बाद इसमें अब एक नया मोड़ आ गया है।
मूल शिकायत दक्षिण कन्नड़ के पुलिस अधीक्षक के समक्ष 'नकाबपोश व्यक्ति' के नाम से मशहूर चिन्नय्या नामक व्यक्ति द्वारा दर्ज कराई गई थी। एसआईटी ने बाद में आरोपों को निराधार पाते हुए उसे झूठी गवाही देने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया।
एसआईटी की ओर से पूछताछ में शामिल याचिकाकर्ताओं, गिरीश मटेन्नावर, थिम्मारोडी और जयंत टी, ने अब एफआईआर और 24 अक्टूबर को जारी एसआईटी नोटिस, दोनों को रद्द करने की मांग की है।
एसआईटी अधिकारियों ने पुष्टि की है कि धर्मस्थल के आसपास के जंगली इलाकों में व्यापक तलाशी में लोगों के सामूहिक दफन का कोई सबूत नहीं मिला। जांचकर्ताओं ने आरोपों को 'असंगत और गलत सूचना पर आधारित' बताया है।
याचिकाकर्ताओं ने कथित तौर पर उच्च न्यायालय से चिन्नय्या के खिलाफ दर्ज दो अन्य मामलों को रद्द करने का भी अनुरोध किया है। इनमें से एक कथित 'धर्मस्थल विरोधी साजिश' से जुड़ा है और दूसरा जालसाजी से जुड़ा है। पुलिस ने पहले इन आरोपों को एक ही एफआईआर में शामिल कर लिया था।
याचिकाकर्ताओं ने मामले की सुनवाई होने तक सभी तरह की कार्यवाही पर रोक लगाने का अनुरोध किया है।
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