नैनीताल , नवम्बर 17 -- उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने कार्बेट टाइगर रिजर्व में पर्यटकों के लिए जिप्सी संचालन की प्रक्रिया के मामले में पार्क के निदेशक साकेत बडोला से 10 दिन के अंदर गाइड लाइन पेश करने को कहा है। अदालत ने कहा है कि क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकरण (आरटीए) किस प्रावधान के तहत परमिट जारी करता है।

मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंदर और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ ने ये निर्देश ज्योति चंद्रा और अन्य की ओर से दायर याचिकाओं की सुनवाई करते हुए दिए।

सुनवाई के दौरान अदालत के संज्ञान में आया कि कार्बेट के अंदर संचालित जिप्सियों का परमिट आरटीए की ओर से जारी किया जाता है। सरकार की ओर से इस संदर्भ में क ई तर्क दिए गए।

कहा गया कि आटीए फिटनेस परमिट जारी करता है। यह नियमों के तहत किया जाता है। सीटीआर के निदेशक साकेत बडोला वर्चुअल अदालत में पेश हुए और उन्होंने कहा कि गाइड लाइन के तहत परमिट जारी किया जाता है। मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक की अंतिम सहमति और निगरानी में पूरी प्रक्रिया संपन्न की जाती है।

अंत में अदालत ने कहा कि नव क्षेत्रों के लिए आरटीए किस हैसियत से परमिट जारी कर सकता है। अदालत ने निदेशक से जवाब पेश करने को कहा है। इस मामले में 10 दिन बाद सुनवाई होगी।

याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि सीटीआर की ओर से विशेष दर्जे की जिप्सियों को परमिट दिया जा रहा है। इस पर रोक लगाई जाए। सभी वैध परमिट धारकों को लाटरी प्रक्रिया में शामिल होने की अनुमति दी जाए जबकि उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में स्थानीय लोगों को परमिट जारी करने के लिए प्राथमिकता देने के निर्देश दिए हैं। इस कदम से सबसे बुरा असर स्थानीय युवाओं पर पड़ रहा है।

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