नैनीताल , अक्टूबर 10 -- उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने कार्बेट टाइगर रिजर्व (सीटीआर) के तत्कालीन निदेशक और भारतीय वन सेवा के अधिकारी राहुल के खिलाफ मुकदमा चलाने संबंधी शासन के आदेश पर अगली सुनवाई तक रोक लगा दी है। पूर्व निदेशक के खिलाफ फिलहाल कार्रवाई नहीं होगी।
न्यायमूर्ति आशीष नैथानी की पीठ ने बुधवार को 2004 बैच के आईएफएस अधिकारी राहुल की याचिका पर सुनवाई के बाद यह आदेश पारित किया।
मामले के अनुसार कालागढ़ टाइगर रिजर्व के पाखरो में उत्तराखंड शासन की अनुमति के बिना निर्माण कार्य करने और हजारों संरक्षित पेड़ों के कटान के मामले में उच्चतम न्यायालय के आदेश पर केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की ओर से जांच की जा रही थी।
सीबीआई की ओर से इसी साल मई में आठ अधिकारियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर कर दिया गया। साथ ही उत्तराखंड शासन ने इस वर्ष 04 सितंबर को कुछ अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी लेकिन सीटीआर के तत्कालीन निदेशक राहुल के खिलाफ मुकदमा अभियोजन की अनुमति नहीं दी।
आरोप है कि 16 सितंबर को उत्तराखंड सरकार ने अपने फैसले को बदलते हुए मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी। तत्कालीन निदेशक की ओर से इस मामले को चुनौती देते हुए कहा गया कि यह गलत है और सीबीआई ने सरकार के 04 सितंबर के सरकार के निर्णय को चुनौती नहीं दी। इसलिए पूर्व का आदैश यथावत है।
दूसरी ओर सीबीआई ने याचिकाकर्ता को अंतरिम संरक्षण का विरोध करते हुए कहा कि यह उचित नहीं है और इससे पूरे अभियोजन पर असर पड़ेगा।
अंत में अदालत ने माना कि अंतिम सुनवाई के चरण में इन पहलुओं की गहन जांच आवश्यक है। अतः प्रथम दृष्टया यह मामला अंतरिम संरक्षण प्रदान करने का बनता है। पीठ ने फिलहाल याचिकाकर्ता के खिलाफ अगली सुनवाई तक दंडात्मक कार्रवाई करने पर रोक लगा दी है। अदालत ने अपने आदेश में यह भी कहा कि 16 सितंबर के आदेश के संचालन, कार्यान्वयन और प्रभाव स्थगित रहेगा।
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