नैनीताल , नवंबर 28 -- उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने कार्बेट नेशनल पार्क में पर्यटक जिप्सियों के संचालन के मामले में सुनवाई करते हुए निदेशक साकेत बडोला को निर्देश दिए कि वह अगली सुनवाई पर टाइगर कंजर्वेशन प्लान पेश करे और उच्चतम न्यायालय की ओर से जारी नई गाइडलाइंस का अध्ययन करें।

मुख्य न्यायधीश जी. नरेंदर और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खण्डपीठ में शुक्रवार को ज्योति के अलावा कुल चार याचिकाओं पर सुनवाई हुई।

कार्बेट के निदेशक साकेत बडोला आज अदालत में वर्चुअल पेश हुए और उन्होंने कहा कि ढिकाला जोन को पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है। उन्होंने कहा कि कार्बेट पार्क में पर्यटक जिप्सियों का संचालन निर्धारित गाइडलाइन के तहत किया जाता है। वहन क्षमता के आधार पर इसकी संख्या निर्धारित है। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की गाइड लाइन के तहत निश्चित फार्मूला तय है और पार्क के अंदर प्रशिक्षित चालक को ही जिप्सी संचालन की अनुमति दी जाती है। तय फार्मूले से अधिक संख्या में जिप्सियों का संचालन नहीं किया जा सकता है। इसके लिए कोर और बफ़र ज़ोन चिन्हित हैं।

उन्होंने अदालत के सवाल के जवाब में कहा कि कार्बेट पार्क के अंदर निजी होटल और रिसार्ट मौजूद नहीं हैं। वह साइलेंट ज़ोन से बाहर निजी या राजस्व भूमि पर मौजूद हैं।

सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि रोजगार के बजाय पर्यावरण संरक्षण और वन्य जीव संरक्षण महत्वपूर्ण है। अंत में अदालत ने निदेशक बडोला को निर्देश दिए कि अगली सुनवाई पर टाइगर कंजर्वेशन प्लान की प्रति अदालत में पेश करें और उच्चतम न्यायालय की ओर से जारी नयी नियमावली का अध्ययन करें।

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