भोपाल , अक्टूबर 24 -- मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कार्बाइड गन से हुई दुर्घटनाओं को अत्यंत गंभीरता से लेते हुए निर्देश दिए हैं कि प्रदेश के किसी भी घायल बच्चे और नागरिक के उपचार में किसी भी प्रकार की कमी नहीं आनी चाहिए। उन्होंने कहा कि घायलों के उपचार, ऑपरेशन और नेत्र चिकित्सा सहित सभी चिकित्सीय सेवाएं सर्वोच्च प्राथमिकता से उपलब्ध कराई जाएं। मुख्यमंत्री ने मरीजों को मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान मद से आवश्यक सहयोग देने और गंभीर मरीजों के लिए आवश्यकता पड़ने पर एयर एम्बुलेंस सेवा उपलब्ध कराने के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी घायलों की स्थिति की सतत मॉनिटरिंग की जाए और आवश्यकतानुसार विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीमों को तत्काल तैनात किया जाए। डॉ. यादव ने कहा कि कार्बाइड गन एक घातक विस्फोटक उपकरण है, जो नागरिक सुरक्षा के लिए सीधा खतरा उत्पन्न करता है। उन्होंने इसके अवैध निर्माण, विक्रय और उपयोग पर तत्काल रोक लगाने तथा "जीरो टालरेंस" की नीति के तहत सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भोपाल और अन्य जिलों में कार्बाइड गन से विशेषकर बच्चों को हुई आंख, चेहरे और हाथ की गंभीर चोटें चिंता का विषय हैं। राज्य सरकार नागरिकों के जीवन और स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और इस दिशा में हर संभव कठोर कदम उठाएगी।
मुख्यमंत्री के निर्देशों के अनुपालन में मुख्य सचिव अनुराग जैन ने मंत्रालय में उच्चस्तरीय बैठक लेकर स्थिति की विस्तृत समीक्षा की। उन्होंने कहा कि कार्बाइड गन प्रतिबंधित श्रेणी का उपकरण है और इसके विरुद्ध कार्रवाई शस्त्र अधिनियम 1959, विस्फोटक अधिनियम 1884 तथा विस्फोटक पदार्थ अधिनियम 1908 के तहत की जाए। यह उपकरण एसीटिलीन गैस के विस्फोट से तेज आवाज और दाब लहर उत्पन्न करता है, जिससे गंभीर चोटें और स्थायी नेत्र क्षति हो सकती है।
मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि प्रत्येक जिले में बीएनएसएस की धारा 163 के अंतर्गत आदेश पारित कर कार्बाइड गन के निर्माण, विक्रय, स्वामित्व और उपयोग पर तत्काल प्रतिबंध लगाया जाए। अवैध निर्माण या विक्रय करते पाए जाने पर एफआईआर दर्ज कर कठोर कार्रवाई की जाए। उन्होंने कहा कि ई-कॉमर्स वेबसाइटों और सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर कार्बाइड गन या उसके घटकों की बिक्री रोकने हेतु साइबर शाखा निगरानी करे। नागरिकों, अभिभावकों और शिक्षण संस्थानों में जागरूकता अभियान चलाकर बताया जाए कि यह कोई "खिलौना" नहीं बल्कि "विस्फोटक यंत्र" है।
मुख्य सचिव ने कहा कि सभी जिलों में मैदानी अधिकारी संदिग्ध दुकानों और ऑनलाइन प्लेटफार्मों की जांच कर अवैध लिस्टिंग हटवाने, जब्ती, प्रमाण-संग्रह और फोटोग्राफिक रिकॉर्डिंग सुनिश्चित करें। जब्त वस्तुओं की फोरेंसिक जांच, चेन ऑफ कस्टडी और पीईएसओ के समन्वय से विधिक निपटान किया जाए। साथ ही पुलिसकर्मियों के प्रशिक्षण, नागरिक जागरूकता अभियान, स्कूलों और पंचायतों में चेतना सत्र तथा हेल्पलाइन व्यवस्था विकसित की जाए, जिससे नागरिक सतर्क रहें और संदिग्ध गतिविधियों की सूचना तुरंत पुलिस को दें।
बैठक में अपर मुख्य सचिव सामान्य प्रशासन संजय कुमार शुक्ल, अपर मुख्य सचिव अशोक बर्णवाल, प्रमुख सचिव स्वास्थ्य संदीप यादव, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक सहित प्रशासनिक और पुलिस विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।
पुलिस मुख्यालय द्वारा जारी विस्तृत परिपत्र में कार्बाइड गन के वैज्ञानिक स्वरूप, कानूनी स्थिति, दंडात्मक प्रावधानों और कार्रवाई की प्रक्रिया स्पष्ट की गई है। परिपत्र के अनुसार, कार्बाइड गन का निर्माण, विक्रय या स्वामित्व शस्त्र अधिनियम 1959 और विस्फोटक अधिनियम 1884 के तहत दंडनीय अपराध है, जिसके लिए तीन से सात वर्ष तक का कारावास और जुर्माने का प्रावधान है। अब तक भोपाल में 6, विदिशा में 8 और ग्वालियर में 1 एफआईआर दर्ज की जा चुकी हैं।
स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, दीपावली के अवसर पर पटाखों और अवैध कार्बाइड गन से घायल अधिकांश मरीज उपचार प्राप्त कर स्वस्थ होकर घर लौट चुके हैं। वर्तमान में केवल दो मरीज ऐसे हैं, जिनकी आंखों में गंभीर चोट है। स्वास्थ्य विभाग ने सभी जिलों को गंभीर मामलों की सतत निगरानी और आवश्यकतानुसार उच्च चिकित्सा संस्थानों में रेफर की व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।
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