डेडियापाड़ा , नवंबर 15 -- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को कहा कि देश में छह दशक तक राज करने वाली कांग्रेस ने आदिवासियों को उनके हाल पर छोड़ दिया था।

श्री मोदी ने गुजरात में नर्मदा जिले के डेडियापाड़ा में कहा, " जनजातीय गौरव दिवस का ये अवसर, हमें उस अन्याय को भी याद करने का अवसर देता है, जो हमारे करोड़ों आदिवासी भाई-बहनों के साथ किया गया। देश में छह दशक तक राज करने वाली कांग्रेस ने आदिवासियों को उनके हाल पर छोड़ दिया था। आदिवासी इलाकों में कुपोषण की समस्या थी, स्वास्थ्य सुरक्षा की समस्या थी, शिक्षा का अभाव था, कनेक्टिविटी का तो नामो-निशान नहीं था। ये अभाव ही एक प्रकार से आदिवासी क्षेत्रों की पहचान बन गयी थी और कांग्रेस सरकारें हाथ पर हाथ धरकर बैठी रहीं। "उन्होंने कहा कि आदिवासी कल्याण भाजपा सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता रही है। उन्होंने कहा, " हम हमेशा इस संकल्प को लेकर चले, कि हम आदिवासियों के साथ हो रहे अन्याय को समाप्त करेंगे, उन तक विकास का लाभ पहुंचाएंगे। देश को आजाद तो 1947 में हो गया था। छह दशक तक राज करने वालों को पता ही नहीं था कि इतने बडे़ आदिवासी समाज के विकास के लिए कुछ करने की जरूरत है। "प्रधानमंत्री ने कहा, " जब पहली बार श्री अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बनें, भाजपा की सरकार बनी, तब देश में पहली बार जनजातीय समाज के लिए एक अलग मंत्रालय का गठन किया था, उसके पहले नहीं किया गया। लेकिन अटल जी की सरकार के बाद, 10 साल जो कांग्रेस को फिर से काम करने का मौका मिला, तो उन्होंने इस मंत्रालय की उपेक्षा की, पूरी तरह भुला दिया गया। आप कल्पना कर सकते हैं, 2013 में कांग्रेस ने जनजातीय कल्याण के लिए कुछ हजार करोड़ रुपये की योजना बनायी, कुछ हजार करोड़ रुपये, एक जिले में एक हजार करोड़ रुपये से काम नहीं होता है। हमारी सरकार आने के बाद हमने बहुत बड़ी वृद्धि की, उसके हितों की चिंता की, हमने मंत्रालय के बजट को बढ़ाया। आज जनजातीय मंत्रालय का बजट अनेक गुणा बढ़ाकर के हमने आज जनजातीय क्षेत्रों के विकास का बीड़ा उठाया है। शिक्षा हो, स्वास्थ्य हो, कनेक्टिविटी हो, हर क्षेत्र में हम आगे बढ़ने का प्रयास कर रहे हैं। "उन्होंने कहा कि आदिवासी बच्चों का भविष्य उज्ज्वल बनाने के लिए सरकार दिन रात काम कर रही है। बीते पांच-छह वर्षों में ही केंद्र सरकार ने, देश में एकलव्य मॉडल आदिवासी स्कूलों के लिए 18 हजार करोड़ से ज्यादा रुपये खर्च किये हैं। छात्राओं के लिए स्कूल में जरूरी सुविधाएं उपलब्ध करायी गयी हैं। इसका नतीजा ये है, कि इन स्कूलों में प्रवेश लेने वाले आदिवासी बच्चों की संख्या में 60 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

श्री मोदी ने कहा कि आदिवासियों में भी जो सबसे पिछड़े आदिवासी हैं, हमारी सरकार उन्हें विशेष प्राथमिकता दे रही है। जिन क्षेत्रों में आज़ादी के इतने दशक बाद भी, जहां न बिजली थी, न पानी पहुंचाने की व्यवस्था थी, न सड़क थी, न अस्पताल की सुविधा थी, इन इलाकों के विकास का विशेष अभियान चलाने के लिए हमने झारखंड के खूंटी से पीएम जनमन योजना शुरू की थी।

उन्होंने कहा कि सरकार आदिवासियों के जीवन से जुड़े हर पहलू को ध्यान में रखकर काम कर रही है। सरकार ने वन-उपज की संख्या को 20 से बढ़ाकर करीब 100 किया है, वन उपज पर न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाये गये। सरकार मोटे अनाज, श्रीअन्न को खूब बढ़ावा दे रही है, जिसका फायदा आदिवासी क्षेत्रों में खेती करने वाले हमारे आदिवासी भाई-बहनों को मिल रहा है।

उन्होंने कहा कि आदिवासी समुदायों में सिकिल सेल, ये बीमारी एक बहुत बड़ा खतरा रही है। इससे निपटने के लिए जनजातीय इलाकों में डिस्पेंसरी, मेडिकल सेंटर और हॉस्पिटल की संख्या बढ़ायी गयी है। सिकिल सेल बीमारी से निपटने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर अभियान चल रहा है। इसके तहत देश में छह करोड़ आदिवासी भाई-बहनों की स्क्रीनिंग हो चुकी है। नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत स्थानीय भाषा में पढ़ाई की सुविधा भी दी जा रही है। आदिवासी समाज के जो बच्चे केवल भाषा के कारण पिछड़ जाते थे, वह अब स्थानीय भाषा में पढ़ाई करके खुद भी आगे बढ़ रहे हैं, और देश की तरक्की में अपना ज्यादा से ज्यादा योगदान दे रहे हैं।

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