जयपुर , नवम्बर 07 -- राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूरे होने पर सभी को शुभकामनाएं देते हुए इसके राजनीतिकरण करने और इस ऐतिहासिक मौके का उपयोग आंदोलन की विरासत को कमजोर करने के प्रयास पर चिंता व्यक्त की है।

शुक्रवार को जयपुर स्थित अपने आवास पर आयोजित प्रेस वार्ता में श्री गहलोत ने कहा कि ये लोग विरासत को समाप्त करना चाहते हैं। आज़ादी की शानदार विरासत त्याग, तपस्या और कुर्बानी की परंपरा को भुलाने की कोशिश की जा रही है।

उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को धर्म के नाम पर सत्ता में आने का मौका मिला है पर उसके मायने यह नहीं कि कांग्रेस की विरासत को समाप्त करने का काम करें।

श्री गहलोत ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का स्वतंत्रता आंदोलन से कोई संबंध नहीं रहा। अंग्रेज़ों के शासन में वे उनसे मिले हुए थे, उन्होंने दशकों तक तिरंगा नहीं लगाया, संविधान को नहीं माना, और महात्मा गांधी एवं डॉ. अंबेडकर के पुतले जलाए। सरदार पटेल ने स्वयं आरएसएस पर प्रतिबंध लगाया था और अब ये सरदार पटेल पर अपना अधिकार जमा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस की विरासत वही है जो देश के स्वतंत्रता आंदोलन की विरासत है जिसका उन्हें गर्व है। श्री गहलोत ने कहा, "किसी को अधिकार नहीं कि वह इस विरासत को समाप्त कर दे और आने वाली पीढ़ियाँ केवल आरएसएस या भाजपा को ही इतिहास में याद रखें। यह हमें मंजूर नहीं होगा।"उन्होंने कहा, "ये ( आरएसएस-भाजपा) आत्म ग्लानि में हैं। इनका विश्वास कभी संविधान में नहीं रहा। वंदे मातरम् 1896 में स्वतंत्रता सेनानियों के लिए प्रेरणा गीत बन गया, और कलकत्ता अधिवेशन में पहली बार गुरुदेव रबीन्द्रनाथ टैगोर ने इसे गाया। तब से यह गीत कांग्रेस की ब्लॉक कमेटी, जिला समिति या अधिवेशन हर जगह नियमित रूप से गाया जाता रहा है।"श्री गहलोत ने आरएसएस द्वारा "नमस्ते सदा वत्सले" गाने के संदर्भ में कहा कि आपका गीत तो नमस्ते सदा वत्सले है। कभी आरएसएस की शाखाओं में वंदे मातरम् गाया है क्या, कभी वंदे मातरम् की चर्चा भी की है।

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