धर्मशाला , अक्टूबर 15 -- हिमाचल प्रदेश का कांगड़ा ज़िला प्राकृतिक तौर तरीके से खेती करने में अच्छा प्रदर्शन कर रहा है।

दरअसल रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के अत्यधिक इस्तेमाल ने मिट्टी की उर्वरता, पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य पर खराब असर डाला है। इस समस्या से निपटने के लिए, हिमाचल प्रदेश सरकार ने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न पहल शुरू की हैं और इनके सफल कार्यान्वयन में कांगड़ा आगे चल रहा है।

कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन एजेंसी (एटीएमए) परियोजना के परियोजना निदेशक डॉ. राज कुमार के अनुसार, 2024-25 के दौरान, विभाग ने 358 किसानों से 836.94 क्विंटल प्राकृतिक रूप से उगाये गये गेहं की खरीद की है और पर 51.89 लाख रुपये खर्च किए गए। इसी तरह 13 किसानों से 53.69 क्विंटल हल्दी की खरीद पर 4.83 लाख रुपये खर्च किये गये।

उन्होंने कहा कि रसायन-मुक्त उत्पादों की बढ़ती बाज़ार मांग के कारण किसान तेज़ी से प्राकृतिक खेती की ओर रुख कर रहे हैं।

प्राकृतिक खेती - खुशहाल किसान योजना के तहत, राज्य सरकार किसानों को तकनीकी मार्गदर्शन, प्रशिक्षण, प्रोत्साहन और विपणन सहायता प्रदान कर रही है।

राज्य सरकार ने 60 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से प्राकृतिक गेहूं खरीदा और उसके आटे को 100 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बेचा। इस आटे को इतनी ज़बरदस्त प्रतिक्रिया मिली कि दो दिनों के भीतर ही स्टॉक बिक गया। डॉ. राज कुमार ने बताया कि कांगड़ा में हल्दी उगाने वाले किसानों की संख्या पिछले साल केवल 13 से बढ़कर अब 800 से ज़्यादा हो गयी है, और इस साल 850 क्विंटल हल्दी की खरीद की उम्मीद है।

उन्होंने आगे कहा, "प्राकृतिक खेती मिट्टी की सेहत को बहाल कर रही है, उत्पादकता बढ़ा रही है और किसानों के लिए बेहतर मूल्य सुनिश्चित कर रही है। यह उपभोक्ताओं को शुद्ध और पौष्टिक भोजन भी उपलब्ध करा रही है।"किसानों ने भी इस पहल पर संतोष व्यक्त किया। त्रैम्बलू गाँव के सुरेश कुमार ने कहा कि उन्हें पूरी सरकारी सहायता मिली और उन्हें गेहूं के लिए 60 रुपये प्रति किलोग्राम और मक्के के लिए 40 रुपये प्रति किलोग्राम के साथ-साथ परिवहन सहायता के रूप में दो रुपये प्रति किलोग्राम का भुगतान किया गया।

मट गाँव की कमला देवी ने कहा कि एटीएमए परियोजना के तहत प्रशिक्षण से उन्हें जीवामृत और घनजीवामृत जैसे जैविक उत्पादों को अपनाने में मदद मिली, जिससे उपज और मिट्टी की उर्वरता दोनों में सुधार हुआ।

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