श्रीनगर , नवंबर 21 -- जम्मू कश्मीर के राजनीतिक दलों और संगठनाें के नेताओं ने विद्युत विकास विभाग (पीडीडी) के उस प्रस्ताव की कड़ी निंदा की है जिसमें सुबह और शाम के पीक आवर में बिजली खपत पर 20 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क (सरचार्ज) लगाने की बात कही गई है।

सत्तारुढ़ नेशनल कॉन्फ्रेंस ने कहा कि चुनी हुई सरकार जम्मू-कश्मीर के लोगों पर ऐसा "अनुचित और गलत समय पर" बोझ नहीं डालने देगी। पार्टी प्रवक्ता तनवीर सादिक ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखा कि कश्मीर की कड़ाके की सर्दी में बिजली कोई लग्जरी नहीं, बल्कि एक जरूरत है और उमर अब्दुल्ला की सरकार इस सरचार्ज के पूरी तरह खिलाफ है।

उन्होंने आगे कहा, "चुनी हुई सरकार जम्मू-कश्मीर के लोगों पर ऐसे किसी भी अनुचित और असमय प्रस्ताव का बोझ नहीं डालने देगी। उमर अब्दुल्ला की सरकार ने प्रस्तावित 20 प्रतिशत पीक-आवर सरचार्ज पर पहले ही स्पष्ट रुख अख्तियार कर लिया है। कड़ाके की कश्मीरी सर्दी में बिजली एक जरूरत है, लग्जरी नहीं। यह सरकार जम्मू-कश्मीर के लोगों पर ऐसे किसी भी गलत और असमय प्रस्ताव का बोझ नहीं डालने देगी।"कश्मीर के मुख्य मौलवी और हुर्रियत कॉन्फ्रेंस अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक ने इस प्रस्ताव को "लोगों के साथ बहुत बड़ा अन्याय" करार दिया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि लोग पहले से ही आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं, कारोबार में भारी गिरावट आई है। ऐसे में कश्मीर में कड़ाके की सर्दी शुरू होने से ठीक पहले बिजली टैरिफ बढ़ाना सरकार की बेरुखी और बेरहमी है।

मीरवाइज ने सरकार से इस जनविरोधी प्रस्ताव को तुरंत वापस लेने की अपील करते हुए कहा, "लोगों की समस्याएं कम करने के बजाय सरकार उनकी परेशानियां बढ़ा रही है। गरीबों को 200 यूनिट मुफ्त बिजली देने का वादा पूरा करने के बजाय लोगों पर नया बोझ डाला जा रहा है।"अपनी पार्टी के अध्यक्ष अल्ताफ बुखारी ने इस प्रस्ताव को कश्मीर के लोगों के साथ "बड़ा अन्याय" बताया। उन्होंने कहा कि कश्मीर विद्युत वितरण कॉर्पोरेशन लिमिटेड (केपीडीसीएल) का पीक आवर में बिजली टैरिफ पर 20 प्रतिशत सरचार्ज लगाने का प्रस्ताव उन लोगों के साथ बहुत बड़ा अन्याय है जो पहले से ही आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं।

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