कोलकाता , अक्टूबर 24 -- कलकत्ता उच्च न्यायालय ने विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी को शुक्रवार को बड़ा झटका देते हुए उन्हें 2022 में दी गई कानूनी सुरक्षा वापस ले ली। इस फैसले के बाद अब राज्य पुलिस को उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिये अदालत की पूर्व अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी।
यह आदेश न्यायमूर्ति जॉय सेनगुप्ता की पीठ ने दिया, जिसमें कहा गया कि पूर्व में दी गई सुरक्षा केवल एक अंतरिम व्यवस्था थी और "कोई भी अंतरिम आदेश अनिश्चित काल तक जारी नहीं रह सकता।"न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा की पीठ ने दिसंबर 2022 में राज्य पुलिस द्वारा दर्ज 26 एफआईआर पर रोक लगाते हुए यह सुरक्षा प्रदान की थी। इस फैसले में अधिकारी के खिलाफ किसी भी नयी एफआईआर के लिए अदालत की अनुमति अनिवार्य कर दी गई थी।
तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता कुणाल घोष ने फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "कलकत्ता उच्च न्यायालय ने एक ऐतिहासिक फैसले में विपक्ष के नेता को दी गई सुरक्षा वापस ले ली है। अदालत ने सही कहा है कि कोई भी व्यक्ति बिना किसी निश्चित समय सीमा के इस तरह की छूट का लाभ नहीं उठा सकता, इसलिए इसे हटा लिया गया है।"श्री घोष ने आगे कहा, "विपक्ष के नेता कुछ भी कह सकते थे क्योंकि राज्य सरकार इस सुरक्षा के खिलाफ असहाय थी। इसे वापस लेने के साथ, पुलिस और प्रशासन अब कानून के अनुसार आगे बढ़ सकते हैं।"इस प्रतिबंध के कारण पिछले दो वर्षों में भाजपा नेता के खिलाफ सामने आई कई शिकायतों को प्राथमिकी में नहीं बदला जा सका। अंतरिम सुरक्षा हटाने के साथ ही अदालत ने शुक्रवार को उनके खिलाफ लंबित 15 प्राथमिकी भी रद्द कर दीं।
इसके अलावा पीठ ने मानिकतला मामले सहित पांच अन्य मामलों की जांच के लिए सीबीआई और पश्चिम बंगाल पुलिस के बराबर प्रतिनिधियों वाली एक संयुक्त विशेष जांच दल (एसआईटी) के गठन का निर्देश दिया।
यह फैसला चुनावों से कुछ महीने पहले आया है और इससे श्री शुभेंदु अधिकारी पर राजनीतिक दबाव बढ़ने की उम्मीद है, जो लंबे समय से राज्य सरकार पर विपक्ष के हमलों में सबसे आगे रहे हैं।
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