नयी दिल्ली , अक्टूबर 14 -- उच्चतम न्यायालय ने कर्नाटक के मालूर विधानसभा का चुनाव रद्द करने वाले कर्नाटक उच्च न्यायालय के आदेश पर मंगलवार को रोक लगाते हुए पुर्नमतगणना का निर्देश दिया।
न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाले कांग्रेस विधायक नानजेगौड़ा की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता ए एम सिंघवी की दलीलें सुनने के बाद यह निर्देश दिया।
पीठ के समक्ष उन्होंने दलील दी कि उच्च न्यायालय ने चुनाव याचिका में सात मुद्दे तय किए थे, लेकिन एक पर भी फैसला नहीं सुनाया। इस दलील पर शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के उक्त आदेश पर रोक लगायी।
शीर्ष अदालत की पीठ ने चुनाव आयोग से कहा कि वह उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार 2023 के विधानसभा चुनावों में डाले गए मतों की पुनर्गणना करे और परिणाम एक सीलबंद लिफाफे में इस अदालत के समक्ष प्रस्तुत करे।
पीठ ने अपने संबंधित आदेश में कहा, "हालांकि, भारत के चुनाव आयोग को निर्देश दिया जाता है कि वह पुनर्गणना के संबंध में निर्देशों का पालन करे और परिणाम एक सीलबंद लिफाफे में इस न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करे। पुनर्गणना के परिणाम इस न्यायालय की अनुमति के बिना प्रकट नहीं किए जाएँगे।"शीर्ष अदालत ने सितंबर में पारित उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ याचिका पर विधानसभा चुनाव में असफल रहे भाजपा उम्मीदवार को नोटिस जारी किया।
पीठ ने अपने आदेश में कहा, "इस बीच, उच्च न्यायालय के उस आदेश का क्रियान्वयन, जिसमें अपीलकर्ता के चुनाव को रद्द किया गया था, स्थगित रहेगा।"इसके परिणामस्वरूप, शीर्ष न्यायालय ने आदेश दिया कि अपीलकर्ता विधानसभा के निर्वाचित सदस्य बने रहेंगे।
वर्ष 2023 के इस चुनाव में कांग्रेस विधायक के वाई नानजेगौड़ा 248 मतों के मामूली अंतर से विजयी घोषित किए गए थे। दूसरी ओर उनके निकटतम प्रतिद्वंदी भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार के एस मंजूनाथ गौड़ा ने चुनाव में कथित अनियमितताओं का आरोप लगाया था और चुनाव को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। उन्होंने मतों की फिर से गिनती करने और उन्हें (भाजपा उम्मीदवार गौड़ा) निर्वाचित घोषित करने की भी मांग की थी। गौड़ा ने आरोप लगाया कि नानजेगौड़ा के पक्ष में वोट गलत तरीके से स्वीकार किए गए और उनके (गौड़ा) पक्ष में वोट खारिज कर दिए गए। पुष्टि होने की संभावना वाले वीडियो रिकॉर्डिंगरोक दी गई।
वकील ने यह भी आरोप लगाया कि रिटर्निंग ऑफिसर ने याचिकाकर्ता के पुनर्गणना आवेदन पर कोई आदेश पारित नहीं किया।
उच्च न्यायालय ने उनकी याचिका स्वीकार कर ली और कहा कि पीठासीन अधिकारी के रिकॉर्ड न होने से चुनाव का परिणाम संदिग्ध हो गया है।
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