बेंगलुरु, सितंबर 29 -- कर्नाटक उच्च न्यायालय ने सोमवार को राज्य प्राधिकारियों को निर्देश दिया कि वे अब्दुल हमीद पाशा की उस याचिका पर विचार करें जिसमें कथित रूप से धोखाधड़ी में शामिल जामिया मोहम्मदिया एजुकेशन सोसाइटी से पांच लाख रुपये की वसूली की मांग की गई है। स्वर्गीय अब्दुल खादर के 51 वर्षीय पुत्र पाशा ने 25 अक्टूबर, 2017 को सोसायटी को जारी किए गए धन का कथित रूप से गबन करने के बाद अदालत का दरवाजा खटखटाया था।
जामिया मोहम्मदिया एजुकेशन सोसाइटी का मुख्यालय मुंबई में है और यह बेंगलुरु में भी स्थित है और इसके मुख्य कार्यकारी अधिकारी खालिद मुशर्रफ हैं। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि सोसायटी सार्वजनिक ट्रस्ट के रूप में पंजीकृत नहीं है और उसने कथित रूप से फर्जी दस्तावेजों का उपयोग करके आधिकारिक मान्यता प्राप्त की है।
याचिका के बाद 14 मई को सोसायटी के अभिलेखों की जांच के लिए एक तीन-सदस्यीय समिति का गठन किया गया। कारण बताओ नोटिस जारी किया गया और स्कूल शिक्षा आयुक्त ने कर्नाटक शिक्षा अधिनियम, 1983 की धारा 39(एफ) का उल्लंघन करने के आरोप में 30 मई को सोसायटी की मान्यता रद्द कर दी।
अदालत ने पाया कि आरोप एक अपील में विचाराधीन हैं और उनके गुण-दोष पर कोई टिप्पणी नहीं की। अदालत ने संबंधित प्राधिकारी को पाशा द्वारा उठाए गए मुद्दों पर कानून के अनुसार विचार करने का निर्देश देते हुए याचिका का निपटारा कर दिया।
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