भोपाल , अक्टूबर 04 -- मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में कफ सिरप के कारण 9 मासूम बच्चों की मौत के मामले में विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने सरकार पर गंभीर सवाल उठाते हुए इसकी न्यायिक जांच की मांग की है।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि प्रदेश सरकार सरदार वल्लभभाई पटेल नि:शुल्क औषधि वितरण योजना के तहत दवा वितरण करती है। इस स्कीम के तहत दवा बांटने के लिए सरकार जो दवाएं खरीदती है उसके सैंपल की जांच मध्यप्रदेश ड्रग कॉर्पोरेशन सैंपल जांचता है। उससे पूर्व इन दवाओं की जांच प्रोटोकॉल के तहत होती है।

उन्होंने कहा कि नवंबर 2024 में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट के अनुसार, छिंदवाड़ा और ग्वालियर सहित कई जिलों में 11 करोड़ रुपए से अधिक की 263 दवाएं एक्सपायर हो गईं। प्रदेश में दवाओं का प्रोक्योरमेंट, परचेज और मैनेजमेंट बहुत खराब है। इसी तरह, मध्यप्रदेश विधानसभा में प्रस्तुत तथ्यों के अनुसार, अप्रैल 2021 से जून 2025 के बीच सरकारी प्रयोगशालाओं में परीक्षण किए गए 229 दवा नमूनों में से 138 नमूने "अमानक" पाए गए। इनमें कई उत्पादों के लाइसेंस रद्द किए गए और कुछ कंपनियों पर कार्रवाई अब भी लंबित है। यह साफ करता है कि प्रदेश की दवा गुणवत्ता निगरानी प्रणाली पर्याप्त मजबूत नहीं है और इसमें गंभीर सुधार की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि पिछले साल इंदौर के बड़े सरकारी अस्पताल में नकली लाइफ-सेविंग ड्रग्स मिली थीं। कार्यवाही के नाम पर केवल स्टॉक को सीज़ किया गया, दोषियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके साथ ही उन्होंने छिंदवाड़ा कफ सिरप मामले में मृत बच्चों के परिजन को उचित मुआवज़ा देने, दोषी दवा निर्माता कंपनियों और संबंधित अधिकारियों पर आपराधिक प्रकरण दर्ज करने और पूरे प्रकरण की न्यायिक जाँच की मांग की।

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