नयी दिल्ली, अक्टूबर 09 -- वस्त्र मंत्रालय ने कपड़ा क्षेत्र के लिए उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना में कई महत्वपूर्ण संशाेधन करते हुए इसके लाभ के लिए आवेदन पोर्टल 31 दिसंबर, 2025 तक खोल दिया है।

मंत्रालय की गुरुवार को जारी एक विज्ञप्ति में बताया गया कि उद्योग जगत की व्यापक भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए उसने सुझावों के आधार पर यह निर्णय किया गया है। मंत्रालय ने कपड़ा क्षेत्र की पीएलआई योजना में भाग लेने की इच्छुक कंपनियों से आग्रह है कि वे संशोधित ढांचे और विस्तारित समय-सीमा का लाभ उठाकर आवेदन करें और भारत के वैश्विक वस्त्र विनिर्माण केंद्र बनने के दृष्टिकोण में योगदान दें।

वस्त्र मंत्रालय ने मैनमेड फैब्रिक परिधान, मैनमेड फैब्रिक फ़ैब्रिक्स और तकनीकी वस्त्र उत्पादों के लिए उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना में प्रमुख संशोधनों को अधिसूचित किया है।इनका उद्देश्य इकाइयों की समस्याओं का समाधान करना, व्यापार में सुगमता बढ़ाना, क्षेत्र में नए निवेश को प्रोत्साहित करना और विकास को गति देना है।

योजना में संशोधनों के तहत पात्र उत्पादों का विस्तार किया गया है और इसमें मैनमेड फैब्रिक, फ़ैब्रिक्स परिधान के लिए 8 नए एचएसएन कोड और मैनमेड फैब्रिक फ़ैब्रिक्स के लिए 9 नए एचएसएन कोड शामिल किये गये हैं।

आवेदक अब मौजूदा कंपनियों के भीतर परियोजना के लिए नयी इकाइयाँ स्थापित कर सकते हैं।

इसके साथ ही निवेश की न्यूनतम सीमा में कमी की गयी है। पहली अगस्त 2025 से योजना के भाग-1 श्रेणी में न्यूनतम निवेश 300 करोड़ रुपये से घटाकर 150 करोड़ रुपये और भाग-2 श्रेणी में 100 करोड़ रुपये से घटाकर 50 करोड़ रुपये कर दिया गया है।

प्रोत्साहन की पात्रता के लिए वृद्धिशील कारोबार की शर्त भी सरल कर दी गयी है और न्यूतम सीमा 25 प्रतिशत वृद्धि की शर्त को 10 प्रतिशत कर दिया गया है। इसके अनुसार वित्त वर्ष 2025-26 से, आवेदकों को अब प्रोत्साहन के लिए अर्हता प्राप्त करने हेतु (वर्ष 2 से आगे) पिछले वर्ष की तुलना में न्यूनतम 10 प्रतिशत वृद्धिशील कारोबार प्रदर्शित करना होगा।

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