केंद्रपाड़ा , अक्टूबर 31 -- गहिरमाथा समुद्री अभयारण्य में मछली पकड़ने पर सात महीने का प्रतिबंध शनिवार से लागू होगा और 31 मई, 2026 तक जारी रहेगा।
इस प्रतिबंध के दायरे में बंगाल की खाड़ी के तट से 20 किलोमीटर दूर तक के क्षेत्र आएंगे और समुद्री मत्स्य विभाग द्वारा उड़ीसा समुद्री मत्स्य पालन विनियमन अधिनियम, 1982, वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 और उड़ीसा समुद्री मत्स्य पालन नियम, 1983 के प्रावधानों के तहत लागू किया जाएगा।
इसका उद्देश्य लुप्तप्राय ओलिव रिडले समुद्री कछुओं को सुरक्षा सुनिश्चित करना है। राजनगर मैंग्रोव (वन) और वन्यजीव प्रभाग के प्रभागीय वन अधिकारी (डीएफओ) वरदराज गांवकर ने कहा, "हम आने वाले दिनों में ओलिव रिडले समुद्री कछुओं की सुरक्षा और संरक्षण में उनका सहयोग लेने के लिए मछुआरा समुदायों के बीच जागरूकता फैलाने करने जा रहे हैं।"गौरतलब है कि गहिरमाथा समुद्री अभयारण्य ओलिव रिडले कछुओं के विश्व के सबसे बड़े आश्रय स्थल के रूप में जाना जाता है। हर साल हजारों की संख्या में ये समुद्री सरीसृप सामूहिक रूप से घोंसला बनाने के लिए आते हैं।
जिला वन अधिकारी (डीएफओ) गाँवकर ने बताया कि कछुओं की सुरक्षा और आगामी घोंसले के मौसम के लिए उपयुक्त वातावरण प्रदान करने के लिए, भितरकनिका के वन अधिकारियों ने तटरक्षक बल, समुद्री पुलिस और मत्स्य विभाग से अभयारण्य और उसके आसपास निगरानी बढ़ाने के लिए सहायता मांगी है। पिछले घोंसले के मौसम में, पांच मार्च से 10 मार्च, 2025 तक, गहिरमाथा समुद्री अभयारण्य के तटों पर सामूहिक घोंसले के लिए 6,06,399 ओलिव रिडले समुद्री कछुए पहुँचे थे। आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार, इनमें से लगभग 3.11 लाख कछुओं ने नासी-2 समुद्र तट पर घोंसला बनाया, जबकि लगभग 2.95 लाख कछुओं ने एकाकुला नासी समुद्र तट पर अंडे दिए।
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