जैसलमेर , अक्टूबर 10 -- राजस्थान में जैसलमेर में पिछले 22 दिनों से औरण गोचर भूमि को संरक्षण देने एवं राजस्व रिकार्ड में दर्ज करने को लेकर चल रहे आंदोलन एवं धरने के कारण जिला प्रशासन, जैसलमेर द्वारा जिले की ओरण, आगोर, तालाब, नदी-नाला एवं नाडी, उसके भराव क्षेत्र की भूमि के राजस्व रिकार्ड में इन्द्राज करने की दिशा में मुस्तैदी के साथ कार्य शुरू किया गया है।

जिला कलेक्टर प्रताप सिंह नाथावत ने शनिवार को बताया कि उपखण्ड अधिकारियों की निगरानी में सहायक अभियंता एवं कनिष्ठ अभियंता जल संशाधन, पटवारी एवं भू-अभिलेख निरीक्षक द्वारा संयुक्त रुप से सर्वेक्षण किया जा रहा है ताकि इस अमूल्य धरोहर का राजस्व रिकॉर्ड में इंद्राज किया जा सके। इस अभियान के तहत 70 हजार बीघा जमीन में 47 गांवों की जीवनदायिनी जाने वाले कई तालाबों को राजस्व रिकार्ड में दर्ज करने के लिए प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजे गये हैं।

उन्होंने बताया कि जिला प्रशासन के दल इन परंपरागत जल स्रोतों एवं चारागाह जैसी प्राकृतिक संपदाओं को राजस्व अभिलेखों में विधिवत दर्ज करके सुरक्षित एवं संरक्षित करने की दिशा में ठोस कार्रवाई कर रही हैं, ताकि भविष्य में अतिक्रमण या अवैध उपयोग की कोई संभावना न रहे।

श्री नाथावत ने बताया कि उपखंड अधिकारियों, तहसीलदारों एवं राजस्व अमले के विशेष दल मौके का निरीक्षण करक सीमांकन एवं अभिलेखों में प्रविष्टि का कार्य प्राथमिकता से कर रहे हैं। इस पहल से न केवल पर्यावरण संरक्षण को बल मिलेगा, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों की पारंपरिक जल संरचनाओं एवं जैव विविधता के संरक्षण में भी नई ऊर्जा का संचार होगा, वहीं ग्रामीणजनों की जन भावना की भी पूर्ति होगी। इस प्रयास से जिले में स्थित ओरण के साथ ही जल संरक्षण की संरचनाओं का राजस्व रिकॉर्ड में इन्द्राज होने से हमेशा-हमेशा के लिए इसका अभिलेख तैयार हो जायेगा।

उन्होंने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि वे ओरण, आगोर एवं अन्य परम्परागत जल स्त्रोतों की राजस्व भूमि की स्थिति का नियमित निरीक्षण करके रिपोर्ट प्रस्तुत करें एवं जहां आवश्यक हो, अतिक्रमण हटाकर भूमि को मूल स्वरूप में पुनः स्थापित करवायें।

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