नयी दिल्ली , दिल्ली 19 -- वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को कहा कि ओमान के साथ हुए व्यापक मुक्त व्यापार और आर्थिक सहयोग समझौते को दोनों पक्षों ने तीन माह के अंदर लागू करने का निश्चय किया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ओमान के सुल्तान हैथम बिन तारिक की उपस्थिति भारत-ओमान व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (सीईपीए) पर गुरुवार को मस्कट में हस्ताक्षर किये गये। श्री गोयल ने और ओमान के वाणिज्य, उद्योग एवं निवेश संवर्धन मंत्री कैस बिन मोहम्मद अल यूसुफ ने अपने अपने देश की ओर से समझौते पर हस्ताक्षर किये।

श्री गोयल ने समझौते के बारे में जानकारी देने के लिए आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा, ' ओमान के लिए अमेरिका के बाद भारत दूसरा देश है जिससे उसने मुक्त व्यापार समझौता किया है। अमेरिका का समझौता 2006 में हुआ था पर उसको लागू करने में तीन साल लग गये थे और वह 2009 में प्रभाव में आया। ओमान के वाणिज्य मंत्री के साथ बातचीत में हमने तय किया है कि हम इसे तीन महीने में लागू कर देंगे।" श्री गोयल के साथ वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

वाणिज्य मंत्री ने कहा कि इस समझौते को खाड़ी क्षेत्र के साथ भारत की रणनीतिक भागीदारी में एक महत्वपूर्ण कदम बताया और कहा कि ओमान का बाजार छोटा है पर यह बहुत ही महत्वपूर्ण है।

श्री गोयल ने कहा कि भारत से ओमान के लिए चिकित्सा और शिक्षा जैसी सेवाओं के निर्यात की बड़ी संभावनाएं हैं। श्री गोयल ने कहा, 'ओमान सालाना एक लाख करोड़ रुपये के बराबर सेवाओं का आयात करता है लेकिन वहां हमारा सेवा निर्यात 5000 करोड़ रुपये का है। सेवा क्षेत्र हमारी अर्थव्यवस्था की ताकत है। हमारा सेवा निर्यात सालाना छह प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है। इस तरह ओमान में हमारे सेवा क्षेत्र के लिए विशाल संभावनाएं हैं।

उन्होंने कहा इस समझौते में ऐसे प्रावधान है जहां ओमान में उपक्रम लागाने वाली भारतीय कंपनियों को वहां के लोगों को रोजगार देने के नियम पूरे करने के बाद 'शत प्रतिशत 'भारत के कर्मियों को भरती की छूट होगी। भारतीय कंपनियों को विविध देशों के लोगों की भर्ती के वहां के नियम से छूट मिलने जा रही है।

श्री गोयल ने बताया कि ओमान ने पहली बार संगमरमर की सिल्लियां निर्यात करने की छूट दी है और यह छूट भारत को दी गयी। उन्होंने कहा कि यह भारत में संगमरमर तराशी उद्योग के लिए फायदेमंद होने के साथ तुर्की के संगमरमर पर भारत की निर्भरता को कम करेगा और कीमतें भी नीचे आयेंगी । इससे भारत में रोजगार के अवसर बढ़ेगे। उन्होंने बातचीत में यह भी कहा कि भारतीय उद्यमी ओमान में संगमरमर तराशी के कारखाने लगा सकते हैं और उनमें काम के लिए भारतीय श्रमिकों को वहां ले जा सकते हैं।

वाणिज्य मंत्री ने कहा कि ओमान में इस समय 7 लाख भारतीय रह रहे हैं और 18000 करोड़ रुपये भारत भेजते हैं।

श्री गोयल ने कहा , 'ओमान के लोग भारत के साथ अंतरिक्ष क्षेत्र में , अपनी खाद्य सुरक्षा के क्षेत्र में भागीदारी करना चाहते है। उन्होंने निवेश के क्षेत्र में हमें भारी अवसर प्रदान किये हैं। हमारे फार्मा क्षेत्र को ओमान के साथ विनियामकीय स्वीकृति में तेजी आयेगी।"वाणिज्य मंत्री ने बताया कि भारत से ओमान में कर्मचारियों के प्रवेश को लेकर जो रियायत मिली है वह 'बेजोड़ है।' अब भारतीय कंपनियां अपने भारतीय कार्यालय से वहां के प्रतिष्ठान में 50 प्रतिशत तक कर्मचारी स्थानंतरित कर सकेंगी। इसी तरह वे अब 90 दिन की जगह भारत से दो साल के लिए कर्मचारी भेज सकेंगी।

उन्होंने कहा कि ओमान के लिए 'हलाल प्रमाणित' उत्पादों की एक विधिवत व्यवस्था पर सहमति बनी है। इसके लिए 'परस्पर मान्यता का समझौता' जहां एक दूसरे की प्रमाणन एजेंसियों के प्रमाण पत्र दोनों देशों को मान्य होंगे।

श्री गोयल ने कहा कि ओमान में कारखाने लगाने के लिए विशाल जगहें उपलब्ध हैं। भारतीय निवेशकों के लिए वहां ग्रीन स्टील, ग्रीन हाइड्रोजन, यूरिया और संगमरमर तराशी के कारखाने लगाने के अच्छे अवसर हैं। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री की ओमान यात्रा के दौरान भारत के उद्यमियों का एक बड़ा दल भी वहां था और उसको लेकर वहां के उद्यमी बहुत उत्साहित हैं। कुछ निवेशक वहां बैटरी विनिर्माण की इकाई भी स्थापित करना चाहते हैं। एमेटी यूनिवर्सिटी और अपोलो हास्पिटल जैसी सेवा क्षेत्र की कंपनियों के लिए विस्तार के काफी अवसर हैं।

वाणिज्य मंत्रालय की एक प्रस्तुति के अनुसार यह समझौता भारत में वस्त्र, चमड़ा, जूते, रत्न एवं आभूषण, इंजीनियरिंग उत्पाद, प्लास्टिक, फर्नीचर, कृषि उत्पाद, फार्मास्यूटिकल्स, चिकित्सा उपकरण और ऑटोमोबाइल जैसे श्रम-प्रधान क्षेत्रों जैसे के लिए निर्यात के बड़े अवसर खोलेगा। इससे रोजगार सृजन होगा, कारीगरों, महिला नेतृत्व वाले उद्यम और यह लघु एवं मध्यम उद्यम मजबूत होंगे।

समझौता के अनुसार ओमान में आयात होने वाले 98.08 प्रकार की वस्तुओं पर भारत के लिए आयात शुल्क शून्य होगा जिससे वहां भारत के 99.38 प्रतिशत निर्यात को शून्य शुल्क पर प्रवेश का फायदा होगा है।

श्री गोयल ने कहा कि यह समझौता मोदी सरकार के दौर में किया गया छठां मुक्त व्यापार और आर्थिक सहयोग समझौता है। ये सभी विकसित देशों के साथ हैं जिनके साथ भारत की कोई निर्यात प्रतिस्पर्धा नहीं है बलिक हम आर्थिक-व्यापारिक क्षेत्र में एक दूसरे के पूरक (सहभागी) का काम करते हैं। मॉरिशस, यूएई, आस्ट्रेलिया, चार यूरोपीय देशों के मुक्त व्यपार संघ (ईएफटीए) , ब्रिटेन के बाद भारत ने अब ओमान के साथ यह समझौता किया है। पिछले छह महीनों में ब्रिटेन के बाद यह इस तरह का दूसरा बड़ा समझौता है।

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