भुवनेश्वर , नवंबर 26 -- ओडिशा सरकार ने राज्य में देब्रिगढ़ वन्यजीव अभयारण्य की पहाड़ियों के पास और हीराकुंड आद्रभूमि से सटे धोड़रोकुसुम गाँव में ग्रामीण 'होमस्टे' सुविधा शुरू की है।

हीराकुंड वन्यजीव प्रभाग (देब्रीगढ़ अभयारण्य) की मंडल वन अधिकारी अंशु प्रज्ञान दास ने कहा कि यह ओडिशा में पहली 'होमस्टे' सुविधा है जिसका प्रबंधन वन विभाग द्वारा वन क्षेत्रों में रहने वाले स्थानीय समुदायों के माध्यम से किया जा रहा है, ताकि उन्हें आर्थिक लाभ प्रदान किया जा सके। साथ ही, उन्हें वन और वन्यजीव संरक्षण के लिए संरक्षक बनाया जा सके और इस क्षेत्र की 'इकोटूरिज्म' क्षमता का पता लगाया जा सके।

सुश्री दास ने कहा कि सभी पाँच होमस्टे कमरे विशिष्ट रूप से प्राकृतिक मिट्टी, गाय के गोबर और भूसी से बनाए गए हैं, इनमें आधुनिक शौचालय हैं और घर आधुनिक सुरुचिपूर्ण साज-सज्जा के साथ हैं ताकि एक गर्मजोशी भरा और प्रामाणिक अनुभव मिल सके। उन्होंने कहा कि हर वस्तु को स्थानीय गाँव के कारीगरों द्वारा तैयार किया गया है।

अधिकारी ने कहा कि प्रत्येक कमरे में ईंट और मिट्टी का एक ठोस आधार है, इसलिए सुरक्षित भी हैं। सभी 5 कमरों में संलग्न शौचालय हैं। पानी और बिजली का 'बैकअप' भी उपलब्ध है। बाहर एक चिमनी और बच्चों के खेलने का क्षेत्र उपलब्ध है।

धोड़रोकसुम में स्थायी होमस्टे सुविधा एक ऐसा मॉडल है जो वन्यजीव संरक्षण को स्थानीय संस्कृति और परंपरा के साथ जोड़ता है। यह एक सुविचारित संरक्षण पहल है क्योंकि स्थानीय समुदाय प्रतिदिन मानव-पशु संघर्षों से जूझ रहे हैं। चूंकि स्थानीय अर्थव्यवस्था और वन्यजीव संरक्षण सीधे जुड़े हैं, होमस्टे लंबी अवधि में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को एक मजबूत तरीके से बढ़ावा देगा, साथ ही लोगों को प्रकृति और वन्यजीवों के बारे में अधिक शिक्षित करेगा।

हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने भी स्थानीय समुदायों और प्रकृति के बीच संतुलन बनाए रखने और लाभ पहुंचाने के लिए वन्यजीव क्षेत्रों और पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र (ईएसजेड) में होमस्टे को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित करने का निर्देश दिया है।

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