SC calls for neutral, independent regulator to tackle online obscenity New Delhi, Nov 27 (UNI) The Supreme Court on Thursday underscored the need for a "neutral, independent and autonomous" regulatory body to oversee obscene, offensive or illegal content on digital platforms, expressing dissatisfaction with the current self-regulation framework adopted by media and OTT entities.A bench comprising Chief Justice of India Surya Kant and Justice Joymalya Bagchi was hearing petitions filed by podcaster Ranveer Allahabadia and others seeking the clubbing of FIRs linked to allegedly obscene content in the online show "India's Got Latent."नयी दिल्ली, 27 नवंबर (वार्ता) उच्चतम न्यायालय ने मीडिया तथा ओटीटी संस्थाओं द्वारा अपनाये गये मौजूदा स्व-नियमन ढांचे पर असंतोष व्यक्त किया है और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अश्लील, आपत्तिजनक या अवैध सामग्री की निगरानी के लिए एक "तटस्थ, स्वतंत्र और स्वायत्त" नियामक निकाय की आवश्यकता पर बल दिया हैमुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्य बागची की पीठ गुरूवार को पॉडकास्टर रणवीर इलाहबादिया और अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। इन याचिकाओं में ऑनलाइन शो "इंडियाज गॉट लैटेंट" से संबंधित कथित अश्लील सामग्री को लेकर दर्ज प्राथमिकी को एक साथ करने की मांग की गयी है। । इससे पहले, न्यायालय ने ऑनलाइन अश्लीलता पर व्यापक दिशानिर्देश तैयार करने के लिए मामले के दायरे को बढ़ाया था।
अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायालय को बताया कि केंद्र सरकार नए दिशानिर्देश तैयार कर रही है और हितधारकों से परामर्श कर रही है। श्री मेहता ने कहा कि यह मामला केवल "अश्लीलता" से नहीं, बल्कि यूट्यूब और समान प्लेटफॉर्म पर प्रकाशित उपयोगकर्ता-जनित सामग्री में मौजूद "विकृति" से भी संबंधित है।
मुख्य न्यायाधीश ने स्वतंत्र कंटेंट क्रिएटर्स के लिए किसी भी नियामक ढांचे की अनुपस्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए टिप्पणी करते हुए कहा, "तो मैं अपना चैनल बनाता हूं, मैं किसी के प्रति जवाबदेह नहीं हूं... किसी को तो जवाबदेह होना चाहिए!" उन्होंने कहा कि बोलने की स्वतंत्रता महत्वपूर्ण है, लेकिन इसे "विकृति" को सही ठहराने के लिए नहीं बढ़ाया जा सकता।
इंडियन ब्रॉडकास्ट एंड डिजिटल फाउंडेशन (आईबीडीएफ) की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अमित सिब्बल ने कहा कि आईटी नियम (मध्यस्थ दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 पहले से ही एक नियामक ढांचा प्रदान करते हैं। उन्होंने बताया कि ओटीटी प्लेटफॉर्म न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) गीता मित्तल की अध्यक्षता वाले निकाय के माध्यम से स्वेच्छा से कंटेंट लेबलिंग, आयु वर्गीकरण और शिकायत निवारण लागू करते हैं।
मुख्य न्यायाधीश ने हालांकि इस मॉडल पर गहरी आपत्ति व्यक्त करते हुए कहा, "स्व-घोषित निकाय मदद नहीं करेंगे। एक तटस्थ स्वायत्त निकाय की आवश्यकता है।" उन्होंने सवाल किया कि अगर स्व-नियमन प्रभावी है, तो उल्लंघन क्यों जारी हैं।
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