नयी दिल्ली , अक्टूबर 17 -- प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के मुंबई क्षेत्रीय कार्यालय ने अनधिकृत फॉरेक्स ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म, ऑक्टाएफएक्स की चल रही जांच के तहत 2,385 करोड़ रुपये की क्रिप्टोकरेंसी के रूप में चल संपत्तियां ज़ब्त की हैं।

ईडी ने पुष्टि की है कि स्पेनिश पुलिस ने उनके अनुरोध पर कार्रवाई करते हुए स्पेन में पावेल प्रोज़ोरोव को गिरफ्तार किया है। प्रोज़ोरोव की पहचान इस योजना के मास्टरमाइंड के रूप में की गयी है, जिसमें कई देशों को प्रभावित करने वाले साइबर अपराध शामिल हैं।

ईडी ने महाराष्ट्र के पुणे में शिवाजी नगर पुलिस स्टेशन द्वारा दर्ज एक प्राथमिकी के आधार पर धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत जांच शुरू की।

एफआईआर में कई व्यक्तियों पर ऑक्टाएफएक्स प्लेटफॉर्म के माध्यम से उच्च रिटर्न का झूठा वादा करके निवेशकों को धोखा देने का आरोप लगाया गया है। ईडी की जांच से पता चला है कि ऑक्टाएफएक्स ने भारतीय निवेशकों से व्यवस्थित धोखाधड़ी के तहत जुलाई 2022 और अप्रैल 2023 के बीच अकेले 1,875 करोड़ रुपये का कारोबार किया, जिससे लगभग 800 करोड़ रुपये का अवैध मुनाफ़ा हुआ।

2019 से 2024 तक कंपनी को भारत से कुल लाभ 5,000 करोड़ रुपये से अधिक होने का अनुमान है, जिसका एक बड़ा हिस्सा अवैध रूप से विदेशों में स्थानांतरित किया गया है।

ऑक्टाएफएक्स ने भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) से अनुमति प्राप्त किए बिना खुद को मुद्रा, कमोडिटी और क्रिप्टो ट्रेडिंग के लिए एक ऑनलाइन फ़ॉरेक्स ट्रेडिंग प्लेटफ़ॉर्म के रूप में प्रस्तुत किया। जांच में पाया गया कि शुरुआती निवेशकों को विश्वास बनाने के लिए छोटे मुनाफ़े दिए गए, जो एक पोंजी योजना की पहचान है।

जांच में आगे पता चला कि ऑक्टाएफएक्स एक वितरित वैश्विक नेटवर्क के माध्यम से संचालित होता था जिसे नियामक जांच से बचने और विभिन्न क्षेत्राधिकारों में अवैध धन को परत दर परत फैलाने के लिए डिज़ाइन किया गया था।

ऑक्टाएफएक्स ने निवेशकों को चूना लगाने के लिए फर्जी कैंडलस्टिक चार्ट और जानबूझकर स्लिपेज का उपयोग करके व्यापारिक कार्यों में हेरफेर किया। प्लेटफ़ॉर्म ने एक "इंट्रोड्यूसिंग ब्रोकर्स" (आईबी) योजना भी चलाई, जिसमें नए ग्राहकों को रेफर करने पर व्यक्तियों और संस्थाओं को भारी कमीशन की पेशकश की गई। इसके अतिरिक्त, ऑक्टाएफएक्स ने स्थानीय सहायता प्रदान करने के लिए रूस और स्पेन में भारतीयों को नियुक्त किया।

निवेशकों का धन यूपीआई और स्थानीय बैंक हस्तांतरण के माध्यम से एकत्र किया गया, जिसे बाद में नकली भारतीय संस्थाओं और व्यक्तिगत "म्यूल" खातों के माध्यम से भेजा गया। अनधिकृत भुगतान एग्रीगेटर्स ने ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म के रूप में प्रस्तुत होने वाली फर्जी कंपनियों को मर्चेंट आईडी प्रदान करके इस प्रक्रिया को सुगम बनाया, जिससे लेनदेन की वास्तविक प्रकृति छिप गई।

एकत्रित धनराशि को अंततः सॉफ्टवेयर और अनुसंधान एवं विकास सेवाओं के फर्जी आयात की आड़ में स्पेन, एस्टोनिया, रूस, हांगकांग, सिंगापुर, संयुक्त अरब अमीरात और यूके में पावेल प्रोज़ोरोव द्वारा नियंत्रित संस्थाओं को हस्तांतरित कर दिया गया।

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