रांची , दिसंबर 27 -- झारखंड के भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने एक बार फिर शराब घोटाले मामले में एसीबी पर सवाल उठाया है।
श्री मारंडी ने सवाल उठाया है, जिन बाल सुलभ उत्पाद आयुक्तों ने ट्रांसफर और विनय चौबे के दबाव के भय से इस घोटाले में साथ दिया, उनकी संपत्तियों की जांच क्यों नहीं हो रही?श्री मरांडी ने अपने सोशल मीडिया पर लिखा,शराब की आपूर्ति जैसे संवेदनशील और राजस्व से जुड़े विषय में क्या प्रक्रिया इतनी आसान है कि केवल एक लिखित आवेदन पर, बिना किसी टेंडर के, कंपनियों को आपूर्ति की अनुमति दे दी जाए? जब विनय चौबे अपनी मनमर्जी से चुनिंदा कंपनियों को काम सौंप रहे थे, तब उत्पाद मंत्री, वरिष्ठ अधिकारी और पूरी प्रशासनिक व्यवस्था मौन क्यों रही? न किसी ने आपत्ति जताई, न ही मुख्यमंत्री ने समय रहते इसका संज्ञान लिया....आज जिन कंपनियों और व्यक्तियों की जांच एसीबी कर रही है, क्या हेमंत सोरेन जी के छत्तीसगढ़ दौरे के दौरान उनकी मेजबानी का खर्च इन्हीं लोगों ने नहीं उठाया था?एसीबी को यह जवाब देना होगा कि जिन बाल सुलभ उत्पाद आयुक्तों ने ट्रांसफर और विनय चौबे के दबाव के भय से इस घोटाले में साथ दिया, उनकी संपत्तियों की जांच क्यों नहीं हो रही? यदि हेमंत सोरेन जी यह सोचते हैं कि एसीबी की सीमित या एकपक्षीय कार्रवाई से उनके भ्रष्टाचार पर पर्दा पड़ जाएगा, तो यह उनकी सबसे बड़ी भूल साबित होगी।
शराब किसी भी राज्य के लिए राजस्व का एक महत्वपूर्ण स्रोत अवश्य है, लेकिन यह भी सच्चाई है कि शराब से जुड़े घोटालों ने कई सरकारों की नींव हिला दी है। छत्तीसगढ़ और दिल्ली इसके प्रत्यक्ष उदाहरण हैं।
एसीबी भले किसी एक अधिकारी पर सारा दोष मढ़ने और असली गुनाहगार को बचाने का प्रयास करे, लेकिन न्यायालय में सच्चाई को दबाया नहीं जा सकता। निष्पक्ष न्यायिक जांच में असली गुनहगारों का चेहरा सामने आएगा। भारतीय जनता पार्टी भ्रष्टाचार के खिलाफ इस लड़ाई को अंजाम तक पहुंचाकर ही दम लेगी।
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