नयी दिल्ली, नवंबर, 06 -- दिल्ली विश्वविद्यालय की छात्रा पर एसिड हमला मामले में हाल ही में सामने आये एक घटनाक्रम के बाद छात्रा और उसके परिवार के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी में दिल्ली पुलिस भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 231 जोड़ने पर विचार कर रही है।
भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 231 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति आजीवन कारावास या कारावास से दंडनीय किसी अपराध के लिए किसी अन्य व्यक्ति को दोषी ठहराने के इरादे से झूठा सबूत देता है या गढ़ता है, तो उसे उसी अपराध के लिए निर्धारित सज़ा मिलेगी। यह झूठी गवाही और न्यायिक प्रक्रिया को नुकसान पहुंचाने के विरुद्ध एक प्रावधान है। झूठा साक्ष्य देने वाले व्यक्ति को वही सज़ा मिलेगी जो उस अपराध के लिए दी जाती है जिसके लिए वह दोषसिद्धि की कोशिश कर रहा था।
यह धारा छात्रा, उसके पिता अकील, चाचा वकील और भाई यूनुस के खिलाफ जोड़ी जाएगी। छात्रा ने आरोप लगाया था कि जितेंद्र, अरमान और ईशान ने उस पर तेजाब फेंका था लेकिन पुलिस जाँच में पाया गया कि उसके हाथों पर तेजाब फेंकने के लिए उसके पिता ही जिम्मेदार थे।
पुलिस जाँच में यह भी पता चला है कि अकील के बहनोई शमशुद्दीन ने 2018 में मंगोलपुरी में ईशान और अरमान की माँ पर तेजाब फेंका था।
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