नयी दिल्ली , नवंबर 28 -- उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कार्य स्थलों और शैक्षणिक संस्थानों में पीरियड्स से गुज़र रही या गायनेकोलॉजिकल दिक्कतों का सामना कर रही महिलाओं की निजता और स्वास्थ सुरक्षा के मुद्दे पर केंद्र और हरियाणा सरकार को नोटिस जारी किया।
न्यायालय ने यह नोटिस सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) की याचिका पर नोटिस जारी किया जिसमें कार्य स्थलों और शैक्षणि संस्थानों इंस्टीट्यूशन में पीरियड्स से गुज़र रही या गायनेकोलॉजिकल दिक्कतों का सामना कर रही महिलाओं की निजता और स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए देश भर में ज़रूरी दिशानिर्देश जारी करने की मांग की गयी थी।
यह याचिका हरियाणा की महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (एमडीयू ) में परेशान करने वाली खबरों के बाद दायर की गई थी, जहाँ कथित तौर पर महिला सफ़ाई कर्मचारियों की यह पता लगाने के लिए फिजिकल चेकिंग की गई कि उन्हें पीरियड्स हो रहे हैं या नहीं।
न्यायाधीश बीवी नागरत्ना और न्यायाधीश आर. महादेवन की पीठ ने इस मामले को न्यायालय के समक्ष लाने के लिए एससीबीए की तारीफ़ की। न्यायाधीश नागरत्ना ने कहा कि अगर कोई श्रमिक पीरियड्स की वजह से भारी काम नहीं कर पा रही थी, तो नियोक्ता को दूसरा काम दे देना चाहिए था। उन्होंने कहा, "अगर कोई कह रहा है कि इस वजह से भारी काम नहीं किया जा सकता, तो इसे मान लिया जाता और किसी दूसरे व्यक्ति को काम पर रखा जाता। हमें उम्मीद है कि इस याचिका से कुछ अच्छा होगा।"सुनवाई के दौरान, एससीबीए के अध्यक्ष वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने कहा कि दूसरे राज्यों से भी ऐसी ही घटनाएं सामने आ रही हैं। इस पर पीठ ने कहा, "इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। उन्हें जवाब देने दें। मैं सोच रही हूं कि पूरे देश के लिए क्या दिशानिर्देश तैयार की जा सकती हैं।यह एक गंभीर मुद्दा है और इस पर कोई बात नहीं करना चाहता।"न्यायाधीश नागरत्ना ने कहा कि यह घटना इन लोगों की सोच को दर्शाती है। उन्होंने उन खबरों का उल्लेख किया, जिसमें कहा गया था कि कर्नाटक सरकार महीने की छुट्टी की नीति पर विचार कर रही है। उन्होंने कहा, "मैं बस सोच रही थी, क्या वे छुट्टी लेने के वास्ते यह साबित करने के लिए कहेंगे कि आप पीरियड में हैं?" इस दौरान हरियाणा राज्य ने न्यायालय को बताया कि उसने जांच शुरू की है और प्रशासन को इस मामले में सहायक पंजीयक दो लोगों के खिलाफ कार्रवाई की है। एक एजेंसी के ज़रिए ठेके पर रखे गए दो सुपरवाइज़रों को बर्खास्त करने के लिए कहा गया है। साथ ही अनुसूचित जाति एवं जनजाति (अत्याचार रोकथाम) कानून को लागू किया गया है।
इसके बाद न्यायालय ने केंद्र और हरियाणा राज्य को नोटिस जारी किए, और मामले की अगली सुनवाई अगले हफ़्ते के लिए तय की। एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड प्रज्ञा बघेल की ओर से दायर जनहित याचिका में हाल के दिनों और पहले घटित हुए उन मामलों का उल्लेख है, जिनमें पूरे देशभर में महिलाओं और बालिकाओं मासिक धर्म की जांच की गयी थी। याचिका में तर्क दिया गया है कि इस तरह की हरकतें संविधान के आर्टिकल 14, 19 और 21 के तहत महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन करती हैं।
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