देहरादून , अक्टूबर 13 -- उत्तराखंड में युवाओं को आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में दक्ष बनाने के उद्देश्य से राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) की ओर से 'युवा आपदा मित्र प्रशिक्षण कार्यक्रम' का सोमवार को शुभारंभ किया गया।

युवाओं को आपदा की स्थिति में प्रथम प्रतिवादक (फर्स्ट रिस्पॉन्डर) के रूप में तैयार करने के उद्देश्य से शुरू इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ एसडीआरएफ वाहिनी मुख्यालय में सेनानायक (कमांडेंट) अर्पण यदुवंशी ने किया।

श्री यदुवंशी ने अपने संबोधन में कहा कि यह प्रशिक्षण न केवल युवाओं में आपदा प्रबंधन के प्रति जागरूकता बढ़ाएगा, बल्कि उनमें सेवा भावना, उत्तरदायित्व और नेतृत्व के गुणों को भी सुदृढ़ करेगा। उन्होंने कहा कि 'युवा आपदा मित्र' राज्य की आपदा तैयारियों को नई दिशा देंगे और स्थानीय स्तर पर त्वरित राहत एवं सहायता कार्यों में अहम भूमिका निभाएंगे।

श्री यदुवंशी ने बताया कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) और राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एसडीएमए) के संयुक्त तत्वावधान में इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में राज्य के 11 जनपदों से कुल 4,310 स्वयंसेवकों को आपदा प्रबंधन का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसमें एनसीसी के 850, एनएसएस के 1,700, नेहरू युवा केंद्र (एनवाईके) के 850 तथा भारत स्काउट्स एंड गाइड्स के 910 स्वयंसेवक शामिल हैं।

कमांडेंट ने बताया कि एसडीआरएफ वाहिनी जौलीग्रांट में एनवाईकेके 576 एवं एनएसएस के 644 अर्थात, कुल 1,220 स्वयंसेवकों को 17 बैचों में प्रशिक्षित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि यह प्रशिक्षण आज से शुरू होकर मार्च 2026 तक चरणबद्ध रूप में आयोजित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि आज से शुरू इस पहले बैच में 35 स्वयंसेवक प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। यह 7 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम 19 अक्टूबर तक चलेगा। प्रशिक्षण के दौरान, प्रतिभागियों को फर्स्ट एड, जनरल डिजास्टर मैनेजमेंट, सर्च तकनीक और रोप रेस्क्यू जैसे विषयों पर सैद्धांतिक और व्यवहारिक ज्ञान प्रदान किया जाएगा।

आज पहले सत्र में आपदा प्रबंधन अधिनियम, आपदा मित्रों की भूमिका और स्थानीय स्तर पर आपदा पूर्व तैयारियों के महत्व पर चर्चा की गई, दूसरे सत्र में आपदा से पहले और दौरान की जाने वाली सावधानियों के बारे में जानकारी दी गई। इस अवसर पर उप सेनानायक शुभांक रतूड़ी, इंस्पेक्टर प्रमोद रावत, सब-इंस्पेक्टर अनूप रमोला सहित वाहिनी मुख्यालय के अधिकारी और प्रशिक्षक टीम उपस्थित रहे।

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