लखनऊ , दिसंबर 02 -- उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने फेन्सेडिल कफ सिरप एवं अन्य कोडीन युक्त दवाओं की तस्करी और अवैध भंडारण-व्यापार में संलिप्त नेटवर्क के विरुद्ध बड़ी कार्रवाई करते हुए एक और अभियुक्त को गिरफ्तार किया है। यह गिरफ्तारी मंगलवार को प्लासियो मॉल के पूर्व उत्तरी गेट के पास, सुशांत गोल्फ सिटी थाना क्षेत्र से की गई है।

गिरफ्तार अभियुक्त आलोक प्रताप सिंह, निवासी मालवीयनगर ऐशबाग, लखनऊ (मूल निवासी ग्राम कैथी, थाना बलुआ, चंदौली) का रहने वाला है। विगत कई महीनों से एसटीएफ को सूचना मिल रही थी कि फेन्सेडिल और कोडीन युक्त दवाओं का अवैध व्यापार हो रहा है। इन नशे की दवाओं को उत्तर प्रदेश सहित उत्तराखंड, बिहार, झारखंड, असम, पश्चिम बंगाल और यहां तक कि बांग्लादेश तक भेजा जा रहा है। इसी को ध्यान में रखते हुए शासन ने 12 फरवरी 2024 को स्पेशल टास्क फोर्स एवं खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रसाधन विभाग की संयुक्त जांच समिति का गठन किया था।

जांच के दौरान भारी मात्रा में अवैध फेन्सेडिल बरामद होने पर थाना सुशांत गोल्फ सिटी में मुकदमा अपराध संख्या 182/2024 के तहत 420, 467, 468, 471, 34, 120बी व 201 भादवि की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया था। इसी मुकदमे की विवेचना में पहले भी सहारनपुर निवासी विभोर राणा व विशाल सिंह, तथा अमित कुमार सिंह उर्फ अमित टाटा को क्रमशः 12 नवंबर व 27 नवंबर को गिरफ्तार किया जा चुका है।

पूछताछ में आलोक प्रताप सिंह ने बताया कि उसका संपर्क आजमगढ़ निवासी विकास सिंह के माध्यम से वाराणसी के शुभम जायसवाल से हुआ। जिसके बारे में बताया गया कि उसका रांची में 'शैली ट्रेडर्स' नाम से फेन्सेडिल का बड़ा कारोबार है। पश्चिम बंगाल व बांग्लादेश में कोडीन युक्त सिरप की भारी मांग होने से तस्करी में बड़े मुनाफे का लालच देकर उसे अपने गिरोह में शामिल किया गया।

आलोक ने स्वीकार किया कि उसने और अमित टाटा ने विकास सिंह के जरिए शुभम जायसवाल, वरुण सिंह, गौरव जायसवाल और विशाल मेहरोत्रा के साथ मिलकर धनबाद में "श्रेयसी मेडिकल एजेंसी" नाम से जनवरी 2024 में फर्म खोली। फर्म का पूरा संचालन शुभम और उसके पार्टनर करते थे। दोनों ने मिलकर 10 लाख रुपये निवेश किए और 20-22 लाख रुपये का भुगतान उन्हें किया गया। इसके अलावा वाराणसी में "मां शारदा मेडिकल" नाम से फर्म खुलवाई गई, जिसमें कुछ ही महीनों तक फेन्सेडिल की अवैध बिक्री होने की बात सामने आई।

अभियुक्त ने यह भी खुलासा किया कि शुभम जायसवाल और उसके साथी विभिन्न लोगों के नाम पर फर्जी फर्म खोलते थे। फर्जी ई-वे बिल और कूटरचित बिल तैयार कर दवाओं की कालाबाजारी कर लाखों रुपये कमाते थे। गिरोह के कई सदस्यों की गिरफ्तारी के बाद शुभम जायसवाल अपने परिवार व साथियों के साथ दुबई भाग चुका है।

आलोक प्रताप सिंह के विरुद्ध आवश्यक कार्रवाई की जा रही है तथा विस्तृत पूछताछ के लिए पुलिस अभिरक्षा रिमांड हेतु आवेदन किया जाएगा। अभियुक्त के विरुद्ध इससे पूर्व भी धारा 395, 397, 412 भादवि (थाना आशियाना, 2006) का मुकदमा दर्ज है।

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