भोपाल , अक्टूबर 29 -- वामपंथी दलों ने चुनाव आयोग द्वारा बिहार के बाद मध्यप्रदेश सहित 12 राज्यों में शुरू की जा रही विवादित विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया को गरीबों, आदिवासियों, दलितों, महिलाओं और अल्पसंख्यकों के मताधिकार छीनने का प्रयास बताया है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह कदम लोकतंत्र को कमजोर करने और संघ के राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाने की साजिश का हिस्सा है।
वाम दलों ने कहा कि चुनाव आयोग अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी से पीछे हटते हुए संविधान विरोधी कार्य कर रहा है। बिहार में लागू एसआईआर प्रक्रिया के बाद 50 लाख से अधिक मतदाता मताधिकार से वंचित हो गए, जबकि महिला मतदाताओं की संख्या में भी लगभग 10 लाख की कमी दर्ज की गई। वाम नेताओं ने इसे लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला बताया।
दलों ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने इस प्रक्रिया को "घुसपैठियों की पहचान" के नाम पर शुरू किया, परंतु अब तक यह स्पष्ट नहीं कर पाया कि कितने घुसपैठिये पाए गए और उनके खिलाफ क्या कार्रवाई हुई। वामदलों के अनुसार, नागरिकता निर्धारण करना चुनाव आयोग का कार्य नहीं है; उसका दायित्व केवल पात्र नागरिकों को मतदाता सूची में सम्मिलित कर उन्हें मताधिकार देना है। वामपंथी दलों ने चेतावनी दी है कि बिहार जैसी स्थिति अब मध्यप्रदेश में भी दोहराई जा रही है, जिससे आदिवासियों, दलितों, महिलाओं, अल्पसंख्यकों और गरीबों के अधिकार प्रभावित होंगे।
इस मुद्दे पर आगामी 6 नवंबर को दोपहर 1 बजे सभी गैर-भाजपाई दलों की बैठक मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यालय 13-बी, पद्मनाभ नगर, भोपाल में आयोजित की जाएगी। बुधवार को हुई बैठक में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव जसविंदर सिंह, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव शैलेन्द्र कुमार शैली, माकपा के बादल सरोज और प्रमोद प्रधान, तथा सीपीआई के ए.एच. सिद्दीकी और अजय राऊत उपस्थित रहे।
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