चंडीगढ़ , अक्टूबर 17 -- पंजाब के खनन एवं भू-विज्ञान मंत्री बरिंदर कुमार गोयल ने शुक्रवार को कहा कि राज्य की खनन नीति में किये गये सुधारों से कानूनी खनन गतिविधियों को मज़बूती मिली है, रेत और बजरी की आपूर्ति में सुधार हुआ है और पारदर्शिता के ज़रिए राज्य के राजस्व में वृद्धि हुई है।
श्री गोयल ने कहा कि "लैंडओनर माइनिंग साइट्स (एल.एम.एस.)" और "क्रशर माइनिंग साइट्स (सी.आर.एम.एस.)" की शुरुआत ने ज़मीन मालिकों और क्रशर संचालकों को सशक्त बनाकर खनन क्षेत्र में बड़ा बदलाव लाया है। इसके साथ ही राज्य की अन्य राज्यों से कच्चे माल पर निर्भरता में कमी आयी है। इस पहल ने और अधिक हितधारकों को कानूनी दायरे में शामिल कर अवैध खनन को रोकने में अहम भूमिका निभायी है।उन्होंने बताया कि संशोधित नीति लागू होने के बाद विभाग को सी.आर.एम.एस. के लिए 240 से अधिक आवेदन और एल.एम.एस. के लिए 95 आवेदन प्राप्त हुए हैं। इनमें से 23 सी.आर.एम.एस. और 4 एल.एम.एस. के लिए स्वीकृति पत्र पहले ही जारी किये जा चुके हैं और शेष आवेदनों को जिला सर्वेक्षण रिपोर्टों में शामिल करने की प्रक्रिया प्रगति पर है।
श्री गोयल ने कहा कि एल.एम.एस. और सी.आर एम.एस.के लागू होने से स्थानीय स्तर पर रोज़गार के अवसरों में वृद्धि के साथ-साथ राज्य की रॉयल्टी आय में भी इज़ाफ़ा हुआ है। उन्होंने बताया कि पंजाब सरकार ने 11.58 करोड़ घन फुट कच्चे माल वाली 29 व्यावसायिक खनन साइटों के लिए नयी ऑनलाइन नीलामियां शुरू की हैं, जो पिछले तीन वर्षों में पहली नीलामी प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया को ऑनलाइन बोली प्रणाली के माध्यम से पूरी तरह पारदर्शी बनाते हुए मनमाने आवंटनों को समाप्त किया गया है और सभी वास्तविक प्रतिभागियों के लिए समान अवसर सुनिश्चित किये गये हैं। उन्होंने कहा कि मूल्य-आधारित बोली, अग्रिम रॉयल्टी भुगतान और विस्तारित लीज़ अवधि की शुरुआत से नीलामी प्रक्रिया को आधुनिक बनाने के साथ साथ इसकी संचालन कुशलता में सुधार किया गया है।
कैबिनेट मंत्री ने बताया कि कानूनी रूप से कच्चे माल की आपूर्ति को और बढ़ाने और खनन इको-सिस्टम को मज़बूत करने के लिए चरणबद्ध रूप से लगभग 100 अतिरिक्त स्थलों की नीलामी की जायेगी। उन्होंने कहा कि इन नीतिगत सुधारों का उद्देश्य पंजाब के खनन कार्यों को पारदर्शी, जवाबदेह और जन-हितैषी बनाना है।
श्री गोयल ने कहा कि पहले पंजाब में बजरी का खनन मुख्य रूप से विभाग द्वारा आवंटित की गयी व्यावसायिक माइनिंग साइटों से मुख्य तौर पर ड्रा तक सीमित था। क्रशर मालिक इन सीमित व्यापारिक साइटों पर अत्यधिक निर्भर थे या अन्य राज्यों से कच्चा माल मंगवाते थे, जिससे इसकी कमी और लागत दोनों बढ़ जाती थीं। कई क्रशर मालिकों के पास पर्याप्त बजरी वाली ज़मीन होते हुए भी वे प्रतिबंधों की शर्तों के कारण उसका उपयोग नहीं कर पाते थे, क्योंकि अपनी ज़मीन से बजरी निकालने की उनकी लंबे समय से चली आ रही मांग लंबित थी। इससे पंजाब के बजरी भंडारों का बड़ा हिस्सा अप्रयुक्त रह गया था। उन्होंने कहा कि अब पंजाब सरकार द्वारा क्रशर माइनिंग साइटों से संबंधित मुख्य संशोधनों को मंज़ूरी देने से बजरी की खुदाई संबंधी कार्यों में सुधार हुआ है। बजरी वाली ज़मीन के मालिक क्रशर अब खनन लीज़ के लिए आवेदन कर सकते हैं, जिससे अन्य राज्यों पर निर्भरता घटेगी और अवैध गतिविधियों पर अंकुश लगेगा।
हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित