बड़वानी , नवम्बर 26 -- मध्यप्रदेश के बड़वानी जिले में एम्बुलेंस सेवा में गंभीर लापरवाही के आरोप के मामले पर नेशनल हेल्थ मिशन ने सर्विस प्रोवाइडर के विरुद्ध कड़ा रुख अपनाया है।
इसके अलावा सर्विस प्रोवाइडर ने एंबुलेंस के स्टाफ को की सेवाएं समाप्त कर दी हैं।
नेशनल हेल्थ मिशन के निदेशक ने हाल ही में सामने आए इस दुखद प्रकरण के बाद एम्बुलेंस सर्विस प्रोवाइडर जेएईएस जेक्ट भोपाल के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उक्त एम्बुलेंस के नवंबर माह की पूरी ऑपरेशनल लागत को पेनल्टी के रूप में काटने का आदेश जारी किया है। यह कटौती एजेंसी के आगामी बिल भुगतान में समायोजित की जाएगी।
मामला 16 नवंबर का है, जब बड़वानी जिला महिला अस्पताल से 29 दिन की एक गंभीर रूप से बीमार बच्ची को इंदौर रेफर किया गया था। रास्ते में एम्बुलेंस अचानक खराब हो गई। आरोप है कि सर्विस प्रोवाइडर की ओर से समय पर दूसरी एम्बुलेंस उपलब्ध नहीं कराई गई, जिसके कारण परिजनों ने मजबूरी में एक निजी एम्बुलेंस किराए पर ली। इंदौर पहुँचने के बाद बच्ची की हालत और बिगड़ गई तथा इलाज के दौरान 17 नवंबर को उसकी मौत हो गई।
आदेश में बताया गया है कि घटना के बाद सर्विस प्रोवाइडर को कारण बताओ सूचना पत्र जारी किया गया था, लेकिन कंपनी द्वारा दिया गया जवाब संतोषजनक नहीं पाया गया। मामले की संवेदनशीलता और बच्ची की मृत्यु को देखते हुए मिशन डायरेक्टर ने उस एम्बुलेंस के संचालन व्यय को फाइन के रूप में काटने का निर्णय लिया गया। बड़वानी की सीएमएचओ डॉ. सुरेखा जमरे ने बताया कि घटना के बाद जिले में मॉनिटरिंग को मजबूत करते हुए सर्विस प्रोवाइडर कंपनी ने एक अतिरिक्त कोऑर्डिनेटर तैनात किया है। उन्होंने कहा कि एम्बुलेंस खराब होने के बाद नई एम्बुलेंस समय पर नहीं मिल सकी और बच्ची को निजी एम्बुलेंस से ले जाना पड़ा। उन्होंने कहा कि अभी भी सेवाओं में सुधार की बहुत आवश्यकता है।
उधर, कंपनी के भोपाल प्रोजेक्ट के सीनियर स्टेट मैनेजर तरुण सिंह ने बताया कि एम्बुलेंस स्टाफ पायलट विशाल पटेल और एक अन्य कर्मचारी घनश्याम मुजाल्दे को कारण बताओ नोटिस देकर सेवा से तत्काल प्रभाव से हटा दिया गया था। उन पर अब कार्रवाई करते हुए सेवाएं समाप्त कर दी गई है।
बड़वानी जिले के तलवाड़ा डेब के हरिओम कर्मा ने बताया कि 5 साल बाद उनके परिवार में बच्ची हुई थी। उसे किसी तकलीफ के चलते बड़वानी जिला महिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था, उसे यहां से इंदौर के एमटीएच रेफर किया गया। उन्होंने बताया कि एंबुलेंस काफी देर से आई, और जब वे बच्ची को लेकर एंबुलेंस से निकले तो रास्ते में धामनोद के पास एंबुलेंस खराब हो गई। एंबुलेंस चालक और स्टाफ ने दुर्व्यवहार भी किया। करीब डेढ़ घण्टे तक दूसरी एंबुलेंस नहीं आने पर उसे निजी एंबुलेंस करके इंदौर ले जाया गया लेकिन वह मर गई। बच्ची की माँ नविता कर्मा ने आरोप लगाया कि यदि 2 घंटे के समय की बर्बादी नहीं होती तो आज उनकी बच्ची जीवित होती ।
घटना के बारे में जानकारी लगने पर बड़वानी कलेक्टर ने नेशनल हेल्थ मिशन के डायरेक्टर को आवश्यक कार्यवाही हेतु पत्र लिखा था।
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