चेन्नई , दिसंबर 28 -- मरुमलार्ची द्रविड़ मुनेत्र कडषगम (एमडीएमके) की रविवार को यहां उच्च स्तरीयबैठक में हुई, जिसमें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) केंद्र सरकार की महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) योजना का नाम बदलने और महात्मा गांधी के प्रति नफरत तथा बदले की भावना से उनका नाम हटाने के लिए कड़ी आलोचना की गयी।

एमडीएमके सत्तारूढ़ द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम (द्रमुक) के नेतृत्व वाले धर्मनिरपेक्ष प्रगतिशील गठबंधन (एसपीए) के प्रमुख सहयोगी है। पार्टी ने क्रिसमस के दिन अल्पसंख्यकों पर हुए हमलों की निंदा करते हुए कहा कि इस साल जनवरी से दिसंबर तक 700 से ज्यादा ईसाइयों पर फासीवादी और सांप्रदायिक ताकतों ने हमले किये।

पार्टी के महासचिव एवं राज्यसभा के पूर्व सदस्य वाइको की अध्यक्षता में हुई बैठक में पारित प्रस्ताव में निधि आवंटन में गैर भाजपा शासित राज्यों के प्रति उदासीन रवैया अपनाने के लिए भी केंद्र की निंदा की गयी।

एमडीएमके ने केंद्र पर आरोप लगाया कि भाजपा सरकार सत्ता में आने के बाद से मनरेगा योजना का आवंटन लगातार कम कर रही थी और काम के दिनों की संख्या प्रति वर्ष 100 से घटाकर 40 कर दी है। इससे लाखों मजदूर प्रभावित हुए हैं, जो आजीविका के लिए इस पर निर्भर थे।

पार्टी ने केंद्र की योजना के पुनर्गठन की आलोचना करते हुए कहा कि अब 40 प्रतिशत राशि राज्य सरकार को वहन करना होगा। प्रस्ताव में कहा गया कि इससे राज्यों पर और बोझ पड़ेगा और इस योजना का मूल उद्देश्य कमजोर होगा। बैठक में संसद में पारित नया विधेयक को वापस लेने की मांग की गयी।

एक अन्य प्रस्ताव में मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड,कर्नाटक, दिल्ली, असम, हरियाणा, ओडिशा, बिहार और केरल जैसे राज्यों में क्रिसमस के दिन अल्पसंख्यकों पर हुए हमलों की निंदा की गयी और कहा गया कि इस साल जनवरी से दिसंबर तक 700 से अधिक ईसाइयों पर फासीवादी और सांप्रदायिक ताकतों ने हमले किये।

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