भीलवाड़ा , अक्टूबर 17 -- नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की केंद्रीय क्षेत्रीय पीठ भोपाल ने देश की एकमात्र घड़ियाल सेंचुरी चंबल नदी में प्रदूषण, अवैध खनन और अतिक्रमण, सीवरेज कनेक्टिविटी के मामलों पर सख्त रुख अपनाते हुए 7.20 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया हैं।

एनजीटी ने नगर निगम कोटा पर 3.60 करोड़ एवं प्रदूषित पानी को चम्बल नदी में छोड़ने के मामले में कोटा सुपर थर्मल पावर स्टेशन पर 3.60 करोड़ का जुर्माना लगाया है। एनजीटी के न्यायिक सदस्य शिव कुमार सिंह एवं विशेषज्ञ सदस्य सुधीर कुमार चतुर्वेदी की पीठ ने पर्यावरणविद् एवं भीलवाड़ा के बाबूलाल जाजू की जनहित याचिका पर यह आदेश दिए।

ट्रिब्यूनल ने निर्णय में कहा कि चंबल नदी तट पर अवैध खनन और अतिक्रमण न केवल मानव जीवन के लिए खतरा हैं बल्कि यह गंभीर रूप से विलुप्तप्राय घड़ियाल और गंगेटिक डॉल्फिन के अस्तित्व के लिए भी घातक हैं। एनजीटी ने राज्य पर्यावरण सचिव को सक्षम अधिकारियों की एक समिति बनाकर अवैध खनन और अतिक्रमण हटाने के आदेश दिए।

श्री जाजू ने बताया कि पर्यावरण सचिव को वनस्पति आधारित उपाय, मिट्टी एवं नमी संरक्षण कार्य और अन्य यांत्रिक उपायों के जरिए नदी को पुनर्जीवित करने के समयबद्ध निर्देश देते हुए स्पष्ट किया गया है कि नदी में निरंतर जल प्रवाह बनाए रखना आवश्यक है ताकि प्रदूषण की रोकथाम और जल गुणवत्ता में सुधार संभव हो सके। रेत खनन पूरी तरह से सस्टेनेबल सैंड माइनिंग मैनेजमेंट गाइडलाइंस 2016 और एनफोर्समेंट एंड मॉनिटरिंग गाइडलाइंस 2020 के अनुरूप करने और किसी भी उल्लंघन की स्थिति में दंडात्मक कार्रवाई करने की चेताते हुए आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय की "रिवर सेंट्रिक अर्बन प्लानिंग गाइडलाइंस" की भी कड़ाई से पालन करने के एनजीटी ने निर्देश दिये।

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