फगवाड़ा , नवंबर 07 -- उत्तरी अमेरिकी पंजाबी एसोसिएशन (एनएपीए) ने शुक्रवार को पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ के लोकतांत्रिक और ऐतिहासिक चरित्र की रक्षा के लिए संघर्ष कर रहे विद्यार्थियों, शिक्षकों और पंजाब के लोगों के प्रति अपना दृढ़ और अटूट समर्थन व्यक्त किया है।
एनएपीए के कार्यकारी निदेशक सतनाम सिंह चहल ने यहां जारी बयान में कहा कि पंजाब विश्वविद्यालय केवल एक शैक्षणिक संस्थान नहीं है, यह पंजाब के लोगों की भावनात्मक, सांस्कृतिक और बौद्धिक विरासत है। दशकों से, यह विश्वविद्यालय शिक्षा का केंद्र रहा है, जहां विद्वानों, वैज्ञानिकों और सुधारकों ने राज्य की पहचान और प्रगति में योगदान दिया है। पंजाब के साथ इसके संबंध को कमज़ोर करने या इसकी स्वायत्तता को कम करने का कोई भी प्रयास इस संस्थान की आत्मा पर हमला है।
श्री चहल ने विश्वविद्यालय की सीनेट और सिंडिकेट के पुनर्गठन के हालिया प्रयासों की कड़ी निंदा की, जिसमें निर्वाचित प्रतिनिधियों के स्थान पर मनोनीत सदस्यों को शामिल किया गया। उन्होंने कहा कि यह कदम विश्वविद्यालय के लोकतांत्रिक शासन पर सीधा हमला है और पंजाब विश्वविद्यालय अधिनियम का उल्लंघन करते हुए नियंत्रण को केंद्रीकृत करने का एक जानबूझकर किया गया प्रयास है। पंजाब के लोगों को ऐसे मनमाने हस्तक्षेप पर सवाल उठाने का पूरा अधिकार है, जो उनके प्रतिनिधित्व और आवाज़ को दरकिनार कर देता है। श्री चहल ने कहा, " केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में विवादास्पद अधिसूचना वापस लेना पंजाब की जनता और विद्यार्थियों की जीत है। लेकिन इसे केवल पहला कदम ही माना जाना चाहिए। पूर्ण न्याय और पंजाब विश्वविद्यालय के मामलों में पंजाब के उचित अधिकार की बहाली के लिए संघर्ष तब तक जारी रहना चाहिए जब तक स्पष्ट कानूनी और संवैधानिक गारंटी स्थापित नहीं हो जाती। "एनएपीए ने केंद्र सरकार से पंजाब विश्वविद्यालय को पूर्ण स्वायत्तता के साथ एक राज्य विश्वविद्यालय के रूप में मान्यता देने का आग्रह किया है, ताकि पंजाब राज्य के साथ इसके ऐतिहासिक संबंध को बरकरार रखा जा सके। संगठन ने पंजाब के सभी सांसदों, पंजाब विधानसभा और नागरिक समाज से भी इस उद्देश्य के लिए एकजुट होने का आह्वान किया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भविष्य में कोई भी सरकार कार्यकारी अधिसूचनाओं या राजनीतिक दबाव के ज़रिए इस प्रतिष्ठित संस्थान के स्वरूप को बदल न सके।
सतनाम सिंह चहल ने छात्रों और युवा संगठनों से अपना शांतिपूर्ण संघर्ष जारी रखने की अपील की और इस बात पर ज़ोर दिया कि शिक्षा राजनीति, पक्षपात और बाहरी हस्तक्षेप से मुक्त होनी चाहिए।
उन्होंने कहा, " पंजाब विश्वविद्यालय पंजाब के लोगों का है और इसका प्रशासन पंजाब के लोगों की इच्छा, संस्कृति और योगदान को प्रतिबिंबित करना चाहिए। "एनएपीए ने दोहराया कि वह इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर तथा वैश्विक पंजाबी समुदाय के बीच उठाता रहेगा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पंजाब के विद्यार्थियों और बुद्धिजीवियों की आवाज दुनिया भर में स्पष्ट रूप से सुनी जाये।
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