एकता नगर , नवंबर 18 -- गुजरात में नर्मदा जिले के एकता नगर स्थित स्टेच्यू ऑफ यूनिटी परिसर में 'भारत पर्व-2025' में स्वदेशी उत्पादों का प्रदर्शन किया गया।
सूत्रों ने मंगलवार को बताया कि हाल ही में यहां संपन्न हुए 'भारत पर्व-2025' ने इस भाव को बखूबी जीवंत किया कि स्वदेशी ही आत्मनिर्भर भारत का आधार है। लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती को समर्पित इस भव्य पर्व में देश के कोने-कोने से आये हस्त शिल्प कलाकारों, कारीगरों और उद्यमियों ने अपने स्वदेशी उत्पादों का प्रदर्शन किया।
भारत पर्व का मुख्य आकर्षण यहां लगाये गये 55 स्वदेशी स्टॉल थे, जिन्होंने देश की विभिन्न संस्कृतियों और परंपराओं का जीवंत प्रदर्शन प्रस्तुत किया। हरेक स्टॉल ने भारतीय ग्रामीण जीवन, उत्कृष्ट कारीगरी और लोकशैली का प्रतिनिधित्व किया। पंजाब के फुलकारी दुपट्टे, राजस्थान की हस्तनिर्मित पॉटरी, तमिलनाडु की कांजीवरम साड़ी, नागालैंड के बांस से बने उत्पाद और गुजरात की पटोला-बांधणी के आकर्षक रंग ने आगंतुकों को अपने-अपने प्रदेश की कला-कारीगरी की सतरंगी झलक दिखाई।
'वोकल फॉर लोकल' के सूत्र को आगे बढ़ाने वाले इस उत्सव में स्थानीय उत्पादों और पारंपरिक कारीगरों को एक वैश्विक मंच मिला। इस उत्सव के दौरान नर्मदा नदी के तट पर स्थित एकता नगर स्वदेशी की भावना से ओतप्रोत और जगमगाता हुआ नजर आया। स्टॉल पर मौजूद युवा उद्यमियों, महिला स्वयं सहायता समूहों और हस्त शिल्प कलाकारों ने अपने हाथों की कला के जरिए देश की समृद्ध विरासत को शानदार तरीके से उजागर किया।
स्वदेशी स्टॉलों में विशेष रूप से ऑर्गेनिक (जैविक) खाद्य पदार्थ, आयुर्वेदिक उत्पाद, हैंडलूम फैब्रिक्स, रीसाइकिल मटेरियल से बनी सजावटी कलाकृतियां तथा प्राकृतिक रंगों से बने कपड़े आगंतुकों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र बने। खास बात यह है कि यहां आगंतुकों ने केवल खरीदारी ही नहीं की, बल्कि उन्होंने प्रत्येक स्टॉल के पीछे छिपी कहानी, कारीगर की मेहनत और हुनर के साथ-साथ पारंपरिक ज्ञान का अनुभव भी किया।
'भारत पर्व-2025' केवल एक प्रदर्शनी ही नहीं, बल्कि यह आत्मनिर्भरता की दिशा में एक प्रेरणादायी अभियान भी सिद्ध हुआ, जहां 'मेड इन इंडिया' का गौरव पर्यटकों के दिल तक पहुंचा। लाइव म्यूजिक, लोकनृत्य, हस्तकला कार्यशाला और लजीज क्षेत्रीय भोजन के साथ यह उत्सव एक जीवंत भारतीय मेला बन गया। स्टेच्यू ऑफ यूनिटी की तलहटी में मनाया गया यह पर्व केवल रंग-बिरंगी रोशनी से ही नहीं, अपितु भारत की आत्मा 'स्वदेशी' के उजियारे से भी जगमगा उठा, जिसने प्रत्येक भारतीय को स्वदेशी उत्पादों को अपनाने का संदेश दिया।
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