नैनीताल , नवंबर 21 -- उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने देश में एंगलिंग (मछली पकड़ने वाला हुक) के नाम पर मछलियों के साथ हो रही क्रूरता के खेल पर रोक लगाने के मामले में शुक्रवार को केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है। इस मामले में उच्च न्यायालय आगामी 11 दिसंबर को सुनवाई करेगा।
इस मामले को प्रदेश के पूर्व प्रमुख मुख्य वन संरक्षक जयराम की ओर से चुनौती दी गई है। साथ ही इस प्रकरण पर मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंदर और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ में सुनवाई हुई।
याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि देशभर के साथ ही उत्तराखंड में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एंगलिंग के नाम पर मछलियों के साथ क्रूरता की जा रही है। पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 में इसे साफ-साफ परिभाषित किया गया है और इसमें सजा का भी प्रावधान है।
याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि उन्होंने पद पर रहते हुए उत्तराखण्ड में वन क्षेत्रों में एंगलिंग पर रोक लगा दी थी लेकिन वर्ष 2020 में सेवानिवृत्त होने के बाद राज्य सरकार ने प्रतिबंध को हटा दिया और प्रदेश में एंगलिंग का खेल धड़ल्ले से चल रहा है। अब तो पंचायती निकाय भी एंगलिंग के लिए लाइसेंस जारी कर रहे हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार केन्द्र द्वारा बनाए गए कानून का उल्लंघन कर रही है। याचिकाकर्ता की ओर से अदालत से एंगलिंग पर रोक लगाने की मांग की गयी है। उन्होंने कहा कि न केवल उत्तराखंड बल्कि पूरे देश में इस पर रोक लगाई जाए।
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