नयी दिल्ली , दिसंबर 15 -- वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने मोदी सरकार के दौर में भारत के ऊर्जा क्षेत्र में बदलाव को कायाकल्प बताते हुए कहा कि भारत में बिजली की दरें अब चीन जैसे अपने प्रतिस्पर्धी देशों के स्तर पर आ गयी हैं और देश में एक मजबूत तथा एकीकृत राष्ट्रीय ग्रिड का विकास भारत को डाटा का वैश्विक केंद्र बना सकता है।

श्री गोयल ने देश के ऊर्जा क्षेत्र में मोदी सरकार के ग्यारह-साढ़े ग्यारह वर्ष के 'कायाकल्प' की जानकारी देते हुए कहा, ' हमारे पास आज एक राष्ट्रीय बिजली ग्रिड है जो दुनिया में सबसे अच्छी ग्रिड प्रणालियों में एक है। अमेरिका और यूरोप में भी एकीकृत राष्ट्रीय विद्युत पारेषण ग्रिड नहीं है।" उन्होंने कोयला, गैस और नवीकरणीय स्रोतों से देश में बिजली उत्पादन की क्षमता में इस दौरान उल्लेखनीय वृद्धि का उल्लेख करते हुए कहा कि देश में बिजली की आपूर्ति , आपूर्ति की विश्वसनीयता और दर के मामले में पूरे देश में एक बड़ा बदलाव आया है। देश बिजली की कमी वाले देश की जगह आज इफरात वाले देश की स्थिति में पहुंच गया है।

श्री गोयल ने कहा कि बिजली की कमी 2013 में 4.2 प्रतिशत से घटकर 2025 में 0.1 प्रतिशत हो गई है और यह कमी भी स्थापित क्षमता के कारण नहीं बल्कि तकनीकी कारण से है। उन्होंने बताया कि एकीकृत राष्ट्रीय ग्रिड के निर्माण से भारत व्यस्त समय में 2,50,000 मेगा वाट की रिकॉर्ड मांग को पूरा करने में सक्षम हुआ है।

उन्होंने बताया कि पीएम-उदय योजना के तहत किए गए सुधारों से बिजली वितरण क्षेत्र मजबूत हुआ है और डिस्कॉम का बकाया 2022 में 1.4 लाख करोड़ रुपये से घटकर 2025 में 6,500 करोड़ रुपये हो गया है।

उन्होंने 2047 तक ग्रीन हाइड्रोजन, कोल गैसीफिकेशन प्रौद्योगिकी और छोटी मॉड्यूलर परमाणु बिजली इकाइयों सहित हरित ऊर्जा क्षेत्र के विकास के लक्ष्यों को रेखांकित करते हुए कहा कि भरोसे मंद बिजली आपूर्ति व्यवस्था और मजबूत एकीकृत ग्रिड की बदौलत भारत विश्च का डाटा केंद्र बन सकता है।

उन्होंने भारत में बिजली की वाणिज्यिक दरें चीन जैसे प्रतिस्पर्धी देशों की तुलना में बहुत होने के सुझाव से असहमति जताते हुए कहा कि भारत में बिजली की वाणिज्यिक दरें तुलनात्मक रूप से अब प्रतिस्पर्धी देशों के समकक्ष कही जा सकती हैं।

श्री गोयल ने कहा कि 2047 में भारत की स्वतंत्रता के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में, भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए रणनीति को नए सिरे से तैयार किया जा रहा है। राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इसका लक्ष्य 2030 तक प्रति वर्ष 50 लाख टन हाइड्रोजन का उत्पादन करना और जीवाश्म ईंधन के आयात में एक लाख करोड़ रुपये से अधिक की कमी लाना है।

उन्होंने प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना का भी जिक्र किया, जिसके तहत लगभग 20 लाख घरों में छतों पर सौर पैनल लगाए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री के शब्दों को उद्धृत करते हुए उन्होंने कहा कि भारत के ऊर्जा क्षेत्र को मजबूत करने के लिए सरकार जनता को सशक्त बना रही है तथा कोयले पर उच्चाधिकार समिति की कई सिफारिशें विचाराधीन हैं, जिनमें कोयले की खोज और खनन में तेजी लाना और कोयले के गैसीकरण को गति देना शामिल है।

उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि जैसे-जैसे भारत विकसित भारत 2047 की ओर अग्रसर होगा, देश का ऊर्जा क्षेत्र पैमाने, गति और स्थिरता को एक साथ प्रबंधित करने में एक वैश्विक अध्ययन के रूप में उभरेगा।

सरदार वल्लभभाई पटेल की पुण्यतिथि पर श्री गोयल ने कहा, ' देश के ऊर्जा क्षेत्र की पिछले 11 वर्षों की यात्रा इस बात का प्रमाण है कि दूरदर्शी सोच, ईमानदार इरादा और अनवरत कार्य निष्पादन किसी राष्ट्र की नियति को बदल सकता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश के ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की यही भावना साकार हुई है।'उन्होंने बताया कि वित्त वर्ष 2024-25 में देश में 1.02 अरब टन कोयले का अब तक का सबसे अधिक उत्पादन दर्ज किया गया और कोयले के आयात में लगभग 8 प्रतिशत की कमी आई। पिछले 11 वर्षों में देश की सौर ऊर्जा क्षमता 46 गुना बढ़ कर 1.27 लाख मेगावाट हो गयी है और भारत वैश्विक स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा सौर ऊर्जा उत्पादक देश बन गया है। इस दौरान पवन ऊर्जा क्षमता गीगावाट मेगावाट से बढ़कर 2025 में 53 गीगावाट हो गयी ।

विगत में बिजली विभाग की भी जिम्मेदारी संभाल चुके श्री गोयल ने उन्होंने शांति विधेयक (परमाणु ऊर्जा विधेयक) का भी उल्लेख किया और कहा कि इसका उद्देश्य निजी कंपनियों को परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में भाग लेने की अनुमति देना है।

उन्होने कहा कि भारत आज विश्व का चौथा सबसे बड़ा खनिज तेल शोधन केंद्र बनकर उभरा है और अपनी शोधन क्षमता को 20 प्रतिशत तक बढ़ाने के लिए काम कर रहा है। उन्होंने बताया कि 34,238 किलोमीटर प्राकृतिक गैस पाइपलाइन को मंजूरी दी गई है, जिसमें से 25,923 किलोमीटर चालू है।

उन्होंने कहा कि देश ने अतिरिक्त बिजली उत्पादन, ग्रिड एकीकरण और नवीकरणीय ऊर्जा में अग्रणी की दिशा में प्रगति की है। उन्होंने कहा कि यह परिवर्तन आकस्मिक नहीं, बल्कि एक स्पष्ट दृष्टिकोण और निरंतर प्रयासों का परिणाम है। उन्होंने यह भी बताया कि देश ने बिजली की कमी से बिजली सुरक्षा की ओर और अब बिजली स्थिरता की ओर कदम बढ़ा दिया है।

केंद्रीय मंत्री श्री गोयल ने ऊर्जा के क्षेत्र में सरकार की नीति विश्व व्यापी पहुंच, सामर्थ्य, उलब्धता, व्यवहार्यता और स्थिरता एवं वैश्विक दायित्व इन पांच प्रमुख स्तंभों पर आधारित है। उन्होंने बताया कि सौभाग्य योजना के तहत हर घर में बिजली पहुंचाई गई है और उजाला कार्यक्रम के तहत 47.4 करोड़ एलईडी बल्ब वितरित किए गए हैं, जिससे बिजली बिलों में बचत हुई है और कार्बन उत्सर्जन में कमी आई है। 10 करोड़ घरों को स्वच्छ खाना पकाने वाली गैस के कनेक्शन मिलने से महिलाएं स्वस्थ जीवन जी रही हैं तथा पीएम-कुसुम योजना के तहत आज किसान ऊर्जा प्रदाता बन रहे हैं।

उन्होंने बताया कि सौर, पवन और अन्य स्वच्छ ऊर्जा उपकरणों पर माल एवं सेवा कर (जीएसटी) 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है।वर्ष 2030 के लिए निर्धारित 20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य समय से काफी पहले ही हासिल कर लिया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि सौर और पवन ऊर्जा की बिक्री पर अंतर-राज्यीय पारेषण शुल्क माफ कर दिया गया है।

उन्होंने यह भी कहा कि भारत पेरिस समझौते के लक्ष्यों को प्राप्त करने वाला पहला जी20 देश बन गया है, और देश की स्थापित विद्युत क्षमता का 50 प्रतिशत अब गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से आता है।

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