बीजापुर , नवंबर 09 -- छत्तीसगढ़ में नक्सल प्रभावित बीजापुर जिले में उल्लास नवभारत साक्षरता कार्यक्रम के तहत 92 आत्मसमर्पित नक्सली साक्षर बनेंगे।
पुनर्वास केंद्र बीजापुर में ''उल्लास नवभारत साक्षरता कार्यक्रम'' के तीसरे बैच की कक्षाओं का शुभारंभ आज किया गया। इस बैच में कुल 92 आत्मसमर्पित नक्सली शिक्षार्थी साक्षरता की राह पर कदम बढ़ा रहे हैं।
कार्यक्रम का शुभारंभ जिला शिक्षा अधिकारी एवं सदस्य सचिव लखनलाल धनेलिया, जिला परियोजना अधिकारी (जिला साक्षरता मिशन प्राधिकरण) कमलदास झाड़ी तथा नोडल अधिकारी बसमैया अंगनपल्ली की उपस्थिति में हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन और राष्ट्रगान के साथ हुई, जिसके बाद अधिकारियों ने शिक्षार्थियों को साक्षरता के महत्व और जीवन में शिक्षा के सकारात्मक प्रभावों के बारे में बताया।
जिला परियोजना अधिकारी कमलदास झाड़ी ने स्थानीय गोंडी बोली में बेहद सरल शब्दों में साक्षरता के लाभों को समझाया, जिससे शिक्षार्थियों को विषय को बेहतर ढंग से समझने में सहायता मिली। उन्होंने कहा कि शिक्षा केवल पढ़ना-लिखना नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास की दिशा में पहला कदम है।
इस अवसर पर सभी प्रतिभागियों को उल्लास प्रवेशिका, कार्य-पुस्तिका और पेन वितरित किए गए। अधिकारियों ने शिक्षार्थियों को नियमित रूप से अध्ययन करने, नए विषयों को जानने और समाज के विकास में योगदान देने की प्रेरणा दी।
नवभारत साक्षरता कार्यक्रम का उद्देश्य उन वयस्कों को शिक्षित करना है जो किसी कारणवश औपचारिक शिक्षा से वंचित रह गए हैं। बीजापुर जिले में इस कार्यक्रम के माध्यम से आत्मसमर्पित नक्सलियों को शिक्षित कर समाज की मुख्यधारा में जोड़ने की यह पहल न केवल एक शैक्षणिक अभियान है, बल्कि शांति, विकास और पुनर्वास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी है।
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