नयी दिल्ली , नवम्बर 11 -- रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारत को उपभोक्ता से प्रौद्योगिकी विकसित करने वाले देश के रूप में स्थापित करने के लिए नवाचार और ऐसी परिस्थितियां बनाने पर ज़ोर दिया है जहां विशिष्ट उत्पादों के लिए सैनिक, वैज्ञानिक, स्टार्टअप और रणनीतिकार मिल कर काम कर सकें। श्री सिंह ने मंगलवार को यहां मनोहर पर्रिकर रक्षा अध्ययन एवं विश्लेषण संस्थान में आयोजित दिल्ली रक्षा संवाद में 'रक्षा क्षमता विकास में आधुनिक प्रौद्योगिकी का उपयोग' विषय पर बोलते हुए उन्होंने ऐसी प्रणालियां और तंत्र बनाने का आह्वान किया जो नई प्रौद्योगिकी के विकास और उसे अपनाने की स्थिति पैदा करे जिससे कि देश आत्मनिर्भर बन सके। उन्होंने कहा ," अगर हमारी नींव मजबूत है, हमारी संस्थाएं सक्रिय हैं, हमारी सोच खुली है और हमारा सहयोग निर्बाध है, तो हर नई तकनीकी लहर हमें अभिभूत नहीं कर पाएगी। यह हमें आगे बढ़ाएगी। हम न केवल कहीं और हुए बदलावों के अनुकूल ढलेंगे, बल्कि यहां हुए बदलावों के निर्माता भी बनेंगे।"रक्षा मंत्री ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), मशीन लर्निंग, क्वांटम कंप्यूटिंग और स्वार्म टेक जैसी क्रांतिकारी प्रौद्योगिकी को आत्मसात करने और उनके अनुकूल ढलने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि उन्नति की असली परीक्षा इस बात में निहित है कि उपकरण कैसे काम करते हैं। उन्होंने कहा ," तकनीक की शक्ति केवल उपकरणों या एल्गोरिदम तक सीमित नहीं है। यह इसकी सर्वव्यापी प्रकृति में निहित है कि किस तरह से यह राष्ट्रीय सुरक्षा में योगदान देने वाली हर प्रक्रिया, प्रणाली और निर्णय को पुनर्परिभाषित करती है। तकनीक का उपयोग केवल नए उपकरण जोड़ना नहीं है। यह हमारे संस्थानों को अधिक चुस्त, पूर्वानुमानित और अनुकूलनशील बनाने और एक ऐसी रक्षा संरचना बनाने को लेकर है जो निरंतर सीखती है, तुरंत प्रतिक्रिया देती है और परिवर्तन की गति के साथ निरंतर विकसित होती है।"श्री सिंह ने कहा कि तेज गति वाले डेटा लिंक, एआई-संचालित एल्गोरिथम, क्वांटम कंप्यूटिंग और स्वायत्त प्रणालियां त्वरित आंतरिक प्रक्रियाओं और उन्हें प्रभावी ढंग से आत्मसात करने और लागू करने की मज़बूत मानवीय एवं संस्थागत क्षमता के बिना कम हासिल कर पाएंगी। उन्होंने कहा कि रक्षा तैयारियां काफी हद तक अदृश्य तकनीकों पर निर्भर करती हैं जिनमें सुरक्षित डेटा आर्किटेक्चर, एन्क्रिप्टेड नेटवर्क, स्वचालित रखरखाव प्रणालियां और इंटरऑपरेबल डेटाबेस शामिल हैं।
रक्षा मंत्री ने आत्मनिर्भरता को स्वदेशी प्रणालियों के निर्माण से आगे बढ़ाकर डिजिटल संप्रभुता यानी प्लेटफ़ॉर्म को शक्ति प्रदान करने वाले एल्गोरिदम, डेटा और चिप्स पर नियंत्रण तक विस्तारित करने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा, "सच्ची रणनीतिक स्वायत्तता तभी आएगी जब हमारा कोड हमारे हार्डवेयर जितना ही स्वदेशी होगा। इसलिए, हम सुरक्षित, स्वदेशी सॉफ़्टवेयर स्टैक, विश्वसनीय सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखलाओं और भारतीय डेटा पर प्रशिक्षित स्वदेशी एआई मॉडल को प्रोत्साहित कर रहे हैं। मशीनों और एल्गोरिदम को लेकर भारी उत्साह के बीच, हमें यह याद रखना चाहिए कि तकनीक मानवीय निर्णय को बदलने के लिए नहीं, बल्कि उसे बढ़ाने के लिए है। हमें इन उभरती तकनीकों के नैतिक, मनोवैज्ञानिक और कानूनी आयामों में भी निवेश करना चाहिए। एक सभ्यतागत शक्ति के रूप में, भारत सैन्य तकनीक के ज़िम्मेदार और मानवीय उपयोग पर बातचीत का नेतृत्व कर सकता है और उसे ऐसा करना भी चाहिए।"श्री सिंह ने सशस्त्र बलों से न केवल उपकरणों से संबंधित तकनीक में, बल्कि प्रशिक्षण, लॉजिस्टिक्स, योजना और प्रबंधन प्रणालियों से संबंधित क्षेत्रों में भी सर्वोत्तम वैश्विक प्रथाओं पर नज़र रखने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि सर्वोत्तम उपकरणों का आयात करने की तुलना में सर्वोत्तम प्रथाओं का आयात करना कहीं बेहतर है क्योंकि एक बार जब हम प्रक्रिया में निपुण हो जाते हैं और हमारी प्रणालियां मज़बूत, अनुकूलनीय और पारदर्शी हो जाती हैं।
रक्षा मंत्री ने संबोधन की शुरुआत दिल्ली विस्फोट में मारे गए लोगों के प्रति हार्दिक संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि देश की अग्रणी जांच एजेंसियां इस घटना की त्वरित और गहन जांच कर रही हैं, जांच के निष्कर्ष जल्द ही सार्वजनिक किए जाएंगे। उन्होंने देश को आश्वासन दिया कि इस हादसे के ज़िम्मेदार लोगों को न्याय के कटघरे में लाया जाएगा और उन्हें किसी भी हालत में बख्शा नहीं जाएगा।
हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित