झाबुआ , अक्टूबर 21 -- मध्यप्रदेश के आदिवासी बहुल झाबुआ जिले में दीपावली के दूसरे दिन पारंपरिक उत्साह और श्रद्धा के साथ गाय गौहरी का पर्व मनाया गया। इस अवसर पर झाबुआ नगर सहित आसपास के ग्रामीण इलाकों से सैकड़ों लोग गोवर्धननाथ मंदिर परिसर में एकत्र हुए और धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लिया।
मंदिर के पुजारी दिलीप आचार्य ने बताया कि प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी प्रातः मंदिर परिसर में गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाकर पूजा-अर्चना की गई। दोपहर बाद बड़ी संख्या में श्रद्धालु, महिलाएं और ग्रामीण मंदिर पहुंचे। ग्वाल समुदाय के लोग अपनी गायों को रंग-बिरंगे रंगों, मोरपंख और घंटियों से सजाकर लाए।
पर्व की विशेष परंपरा के अनुसार, मन्नतधारी व्यक्ति जमीन पर गोबर पर लेटता है और उसके ऊपर से गायों का झुंड गुजरता है। मान्यता है कि इससे परिवार में सुख-समृद्धि आती है और रोग-दुःख दूर होते हैं। इस दौरान पुजारीगण ढोल-मंजीरे बजाते हुए भजन करते हैं, जबकि महिलाएं और पुरुष "गोवर्धन नाथ की जय" के नारे लगाते हुए मंदिर की परिक्रमा करते हैं।
पहले इस पर्व पर पटाखे चलाने की परंपरा थी, लेकिन अव्यवस्था और शांति भंग की घटनाओं को देखते हुए प्रशासन ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया है। पर्व के दौरान पुलिस की कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी।
गोवर्धननाथ मंदिर वैष्णव संप्रदाय से जुड़ा हुआ है, जहां श्रीनाथजी की उदयपुर परंपरा के अनुसार वर्षभर सभी पर्व मनाए जाते हैं। इस अवसर पर मंदिर समिति ने ग्वालों को साफा बांधकर सम्मानित भी किया। झाबुआ के साथ-साथ पारा, कालिदेवी, खयडू और उज्जैन में भी यह पर्व श्रद्धा और हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।
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