नैनीताल , अक्टूबर 09 -- उत्तराखंड के सेवानिवृत्त शिक्षकों से अधिक वेतन भुगतान की वसूली अब नहीं होगी बल्कि सरकार इसके लिए दोषियों अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करेगी।
प्रदेश के वित्त सचिव की ओर यह आश्वासन आज उच्च न्यायालय को दिया गया है।
दरअसल चंपावत के कई सेवानिवृत्त शिक्षकों की ओर से इस मामले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई है। इसी में से एक मामले की सुनवाई आज न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की पीठ में हुई। प्रदेश के वित्त सचिव वर्चुअली रूप से अदालत में पेश हुए और उन्होंने कहा कि सेवानिवृत्त शिक्षकों से वसूली नहीं की जाएगी। सरकार इस मामले में नया शासनादेश जारी करेगी। साथ ही दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि वर्ष 1990 में उनकी नियुक्ति तदर्थ शिक्षकों के रूप में हुई। वर्ष 2002 में उन्हें विनियमित किया गया। विनियमितिकरण के साथ ही उन्हें चयन वेतनमान और प्रोन्नत वेतनमान के साथ ही वार्षिक वेतन वृद्धि का लाभ दिया गया। इस दौरान वह वर्ष 2023-2024 में सेवा निवृत्त हो गये।
इस बीच चंपावत के मुख्य शिक्षाधिकारी की ओर से एक आदेश जारी कर उनके सेवानिवृत्त लाभ रोकने के निर्देश दे दिए गए और कहा गया कि पहले उनसे अधिक वेतन भुगतान की वसूली की जाए।
याचिकाकर्ताओं की ओर से यह भी कहा गया कि शिक्षा महकमे की ओर से 13 लाख से 29 लाख रुपए तक की वसूली की जा रही है।
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