नैनीताल , नवम्बर 14 -- उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने राज्य भर के जिला अस्पतालों में बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में सुनवाई करते हुए शुक्रवार को स्वास्थ्य सचिव और महानिदेशक (डीजी) को अगले सप्ताह मंगलवार को वर्चुअली तलब किया है।
उत्तराखंड स्टेट लीगल सर्विस अथाॅरिटी की ओर से दायर जनहित याचिका पर मुख्य न्यायाधीश जी. नरेन्दर और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ में सुनवाई हुई।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली की ओर से कहा गया कि प्रदेश के 13 जिला अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवायें मुकम्मल नहीं हैं। केन्द्र सरकार के स्वास्थ्य मानकों के हिसाब से विशेषज्ञ चिकित्सक और चिकित्सक मौजूद नहीं हैं। पैरा मेडिकल स्टाफ की भी भारी कमी है।
कई जिला अस्पतालों में शल्य चिकित्सा (सर्जरी) को लेकर जो इंतजाम हैं वह नाकाफी हैं। यह भी कहा गया कि प्रदेश सरकार जनता को स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने में नाकाम साबित हो रही है। अल्मोड़ा के चैखुटिया में चिकित्सकों की कमी को लेकर लंबे समय से आंदोलनरत हैं।
अधिवक्ता मैनाली ने कहा कि यही हाल नैनीताल स्थित बीडी पांडे जिला अस्पताल का है। उच्चतम न्यायालय को दिये गये आश्वासन के बाद भी राज्य सरकार की ओर से बीडी पांडे अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाओं में इजाफा नहीं किया गया है।
जनता निजी अस्पतालों में शोषण को मजबूर है। मामले को सुनने के बाद अदालत ने स्वास्थ्य सचिव और महानिदेशक को मंगलवार को अदालत में वुर्चअली पेश होने के निर्देश दे दिये हैं।
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