लखनऊ , अक्टूबर 31 -- इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने सुल्तानपुर जिले में एक कथित सरकारी जमीन पर पूर्व विधायक इन्द्रभद्र सिंह की मूर्ति स्थापित होने के मामले में जिलाधिकारी व नगर पालिका सुल्तानपुर से पूछा है कि सरकारी जमीन पर अवैध रूप से लगी मूर्तियों को हटाने की क्या प्रक्रिया है। मामले की अगली सुनवायी 25 नवंबर को होगी।
न्यायमूर्ति राजन रॉय व न्यायमूर्ति राजीव भारती की खंडपीठ ने यह आदेश 'सार्वजनिक भूमि पर मूर्ति आदि की स्थापना और उन्हें हटाना' शीर्षक से दर्ज स्वतः संज्ञान याचिका पर दिया है।
मामले में जनहित याचिका दाखिल कर उक्त मूर्ति को हटाने की मांग की गई थी। हालांकि, अदालत ने मामले के याची को सुनवायी से अलग करते हुए, याचिका को स्वतः संज्ञान के तौर पर दर्ज करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने पीडब्ल्यूडी व जिलाधिकारी, सुल्तानपुर से पूछा था कि क्या उक्त प्रतिमा सरकारी जमीन पर लगी है, यदि हां, तो क्या सरकारी जमीन पर ऐसी प्रतिमाएं लगायी जा सकती हैं, यदि नहीं, तो उसे हटाने के लिए क्या प्रक्रिया अपनायी जानी है।
आदेश के अनुपालन में जिलाधिकारी ने जवाब देते हुए, स्वीकार किया कि दो ऐसी मूर्तियाँ हैं जो पीडब्ल्यूडी की जमीन/सड़क पर नगर पालिका द्वारा लगवा दी गई हैं। हालांकि, उन्होंने इन्हें हटाने के सम्बंध में कोई स्पष्ट उत्तर नहीं दिया।
इस पर कोर्ट ने जिलाधिकारी को पूरक शपथ पत्र दाखिल करने का आदेश दिया है। वहीं नगर पालिका से पूछा है कि जिलाधिकारी द्वारा बतायी गई उक्त दो मूर्तियाँ उन्होंने सरकारी जमीन पर कैसे लगा दी और अब उन्हें हटाने के लिए वह क्या करेगी।
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