नयी दिल्ली , नवंबर 25 -- उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को महाराष्ट्र स्थानीय निकाय चुनावों से संबंधित मामले की सुनवाई को शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दिया। राज्य सरकार ने आरक्षण की 50 प्रतिशत सीमा से जुड़े मुद्दों पर राज्य चुनाव आयोग के साथ परामर्श जारी रहने का हवाला देते हुए समय मांगा था।
मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ को आयोग ने बताया कि 242 नगर परिषदों और 42 नगर पंचायतों के चुनाव के लिए दो दिसंबर की तारीख पहले ही अधिसूचित की जा चुकी है।
उन्होंने बताया कि इन 288 स्थानीय निकायों में से 57 में आरक्षण की 50 प्रतिशत की सीमा पार हो गई है।
इस पर संज्ञान लेते हुए मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत ने स्पष्ट किया कि इन 57 अधिसूचित निकायों में 50 प्रतिशत से अधिक का आरक्षण जारी मुकदमे के अंतिम निष्कर्ष पर निर्भर करेगा।
न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया कि जिन स्थानीय निकायों, जैसे जिला परिषदों, नगर निगमों और पंचायत समितियों के चुनाव अभी अधिसूचित होने हैं, उनमें 50 प्रतिशत की सीमा का सख्ती से पालन होना चाहिए। उन्होंने आयोग से कहा, "आप आगे जो भी चुनाव अधिसूचित करते हैं, उन्हें 50 प्रतिशत की अधिकतम सीमा का पालन करना होगा।"यह मामला महाराष्ट्र के स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण के कार्यान्वयन से संबंधित है। ये चुनाव 2021 से रुके हुए हैं। दिसंबर 2021 में, उच्चतम न्यायालय ने ट्रिपल-टेस्ट के अनुपालन तक ओबीसी कोटा पर रोक लगा दी थी। तब राज्य सरकार ने मार्च 2022 में जयंत कुमार बांथिया आयोग का गठन किया जिसने जुलाई 2022 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी।
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