नयी दिल्ली , नवंबर 12 -- उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली रिज क्षेत्र के संरक्षण के उद्देश्य से दिल्ली रिज प्रबंधन बोर्ड (डीआरएमबी) को वैधानिक दर्जा प्रदान किये जाने का निर्देश दिया है।
मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई और न्यायमूर्ति के वी चंद्रन की पीठ ने बुधवार को केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को निर्देश दिया कि वह पारिस्थितिक रूप से नाजुक इस क्षेत्र के संरक्षण में जवाबदेही, पारदर्शिता और प्रभावी शासन सुनिश्चित करने के लिए दिल्ली रिज प्रबंधन बोर्ड (डीआरएमबी) को वैधानिक दर्जा प्रदान करे।
न्यायालय ने इस बात पर निराशा व्यक्त की कि 1995 में इस मामले का पहली बार संज्ञान लेने के बाद से लगभग तीन दशकों में बहुत कम प्रगति हुई है। न्यायालय ने कहा, "उचित वैधानिक संरक्षण के बिना, रिज को उचित रूप से संरक्षित करना संभव नहीं होगा।"पीठ ने इस बात पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि रिज क्षेत्र के चिन्हित 7,784 हेक्टेयर में से केवल 1.33 प्रतिशत (103.48 हेक्टेयर) को ही भारतीय वन अधिनियम के तहत औपचारिक रूप से आरक्षित वन के रूप में अधिसूचित किया गया है। न्यायालय ने रिज के महत्व और तत्काल संरक्षण पर जोर देते हुए कहा, "रिज शहर के हरित फेफड़ों के रूप में कार्य करता है, खासकर बढ़ते प्रदूषण की वर्तमान परिस्थितियों में। रिज की उचित पहचान या संरक्षण के बिना, संपूर्ण पारिस्थितिकी की अखंडता से समझौता होगा।"न्यायालय ने केंद्र सरकार की इस आपत्ति को खारिज कर दिया कि डीआरएमबी को वैधानिक दर्जा देने से अलग-अलग कार्यालयों के अधिकारों में टकराव हो जाएगा। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि निर्णय का उद्देश्य डीआरएमबी को दिल्ली रिज से संबंधित सभी मामलों के लिए एकल-खिड़की प्राधिकरण बनाकर शासन को सुव्यवस्थित करना है।
मुख्य न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा "केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (सीईसी) की तरह, यदि डीआरएमबी को वैधानिक दर्जा दिया जाता है तो यह प्रभावी ढंग से कार्य कर सकेगा और जवाबदेह बना रहेगा।"उच्चतम न्यायालय ने डीआरएमबी के पुनर्गठन का आदेश देते कहा कि डीआरएमबी दिल्ली रिज संबंधित सभी मुद्दों के लिए एकल-खिड़की प्राधिकरण के रूप में कार्य करेगा। इसे रिज के प्राचीन स्वरूप का संरक्षण सुनिश्चित करना होगा, सभी अतिक्रमणों को हटाना होगा और पौधों को लगाना होगा। बोर्ड हर छह महीने में उच्चतम न्यायालय को स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा।
न्यायालय ने आदेश दिया कि इसे पारदर्शी तरीके से कार्य करना होगा और सार्वजनिक सूचनाओं, सुनवाई और रिपोर्टों के लिए एक वेबसाइट बनाए रखनी होगी। साथ ही दिल्ली के सभी प्राधिकरणों को डीआरएमबी को उसके कर्तव्यों के निर्वहन में सहायता करनी होगी।
न्यायालय ने पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम की धारा 3(3) के अंतर्गत डीआरएमबी के गठन हेतु पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को अधिसूचना जारी करने का निर्देश दिया है। न्यायालय के निर्देशानुसार, बोर्ड के अध्यक्ष दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव होंगे, दिल्ली विकास प्राधिकरण के एक सदस्य इसके उपाध्यक्ष होंगे। इसके सदस्यों में केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय और आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय के एक-एक प्रतिनिधि होंगे। इसके साथ ही दिल्ली नगर निगम के आयुक्त और दिल्ली नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष भी इसके सदस्य होंगे। दिल्ली के पुलिस आयुक्त के साथ दिल्ली सरकार के प्रमुख सचिव (पर्यावरण एवं वन), दिल्ली सरकार के प्रमुख सचिव (भूमि राजस्व) भी इसके सदस्यों में शामिल होंगे। दिल्ली सरकार द्वारा नामित दो गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों को भी इसमें सदस्यता दी जाएगी।
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