नयी दिल्ली , अक्टूबर 29 -- उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को लद्दाख के जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की पत्नी गीतांजलि जे. अंगमो को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) के तहत अपने पति की हिरासत को चुनौती देने वाली याचिका में संशोधन करने की अनुमति दे दी। इसके साथ ही उन्हें अपने पति की हिरासत की वैधता पर सवाल उठाने वाले नए आधार और दस्तावेज़ जोड़ने की अनुमति भी दी।

न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति एनवी अंजारिया की पीठ ने याचिका में संशोधन के आग्रह करने वाली श्रीमती अंगमो की याचिका स्वीकार कर ली और केंद्र सरकार को अतिरिक्त आधारों पर जवाब देने का निर्देश दिया।

पीठ ने कहा "याचिकाकर्ता को याचिका में संशोधन करने और एक सप्ताह के भीतर संशोधित प्रति दाखिल करने की अनुमति दी जाती है और उसके बाद दस दिनों के भीतर "संशोधित प्रतिवाद" दाखिल किया जाना है। यदि कोई प्रत्युत्तर हो, तो उसे एक सप्ताह के भीतर दाखिल किया जाए। इस मामले को 24 नवंबर के लिए सूचीबद्ध किया जाए।"श्रीमती अंगमो ने आरोप लगाया है कि उनके पति श्री वांगचुक की नज़रबंदी, सार्वजनिक व्यवस्था या राष्ट्रीय सुरक्षा की वास्तविक चिंताओं से प्रेरित न होकर, असहमति के अपने संवैधानिक अधिकार का प्रयोग करने वाले एक सम्मानित नागरिक को चुप कराने का एक "सोचा-समझा प्रयास" है।

उल्लेखनीय है कि रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित और सतत शिक्षा एवं पर्यावरण संबंधी पहलों के लिए जाने जाने वाले नवोन्मेषक श्री वांगचुक को सितंबर में लेह में लद्दाख को राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची का दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत हिरासत में लिया गया था।

श्रीमती अंगमों ने अपनी संशोधित याचिका में श्री वांगचुक की गिरफ़्तारी से पहले की गई सरकारी कार्रवाइयों का विवरण दिया है, जिनमें उनके एनजीओ के लिए विदेशी फंडिंग लाइसेंस रद्द करना, ज़मीन के पट्टे रद्द करने संबंधी नोटिस, सीबीआई जाँच शुरू करना और आयकर विभाग की ओर से समन भेजना शामिल है। उन्होंने आरोप लगाया है कि ये कदम चुनावों से पहले उन्हें परेशान करने के एक व्यापक प्रयास का हिस्सा थे।

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